रविवार, 23 अप्रैल 2017

लाल बत्ती की अभिलाषा -

लाल बत्ती की अभिलाषा -


चाह नहीं दीवाली की 
लड़ियों में गूँथा जाऊँ | 

चाह नहीं शादी के मंडप में 
लग कर झूठी शान बढ़ाऊँ | 

चाह नहीं डार्क रूम में लग 
फोटुओं को धुलवाऊँ |

चाह नहीं डी.जे.में फिट हो 
हे हरि! सबको नाच नचाऊँ|

मुझे खोल लेना, छत से आली !   
उस पथ पर देना फेंक

रेस कोर्स पर शीश नवाने 
जिस पथ जाएं वी.आई.पी.अनेक | [ स्व. माखनलाल चतुर्वेदी से क्षमा प्रार्थना ]