बुधवार, 29 मार्च 2017

मुबारक नव संवत्सर !

मुबारक नव संवत्सर !

प्रेम पर पहरे 
प्रेमियों पर कहर 
दबंगों की दबंगई 
पति - पत्नी पर भी 
शक्की नज़र । 

मुबारक नव संवत्सर !

कबाब पर बवाल 
टुंडे पर सवाल 
चटोरों की चाहत 
गौ - भक्त आहत 
घनघोर है टक्कर । 

मुबारक नव संवत्सर !

मंत्री की दिखी ढिढाई 
चप्पलों से करी पिटाई 
जब बैन हुआ उड़ना 
चेहरे पर उड़ी हवाई 
आ गए पैर ज़मीन पर 

मुबारक नव संवत्सर !


क्रिकेट में मिल गयी जीत 
हार गए कंगारू 
जंग - ज़ुबानी कह रही 
किस खम्बे पर खीज उतारूं ?
ग्रहण लग गया दोस्ती पर । 

मुबारक नव संवत्सर !


कपिल - सुनील का झगड़ा 
करेंट लगा यह तगड़ा
शो की गिरी टी.आर.पी.
साथ छोड़ गए और भी 
कहत "कपिल" अब सुनो भई साधो !
खोलो न बोतल वक्त -ए-सफर 

मुबारक नव संवत्सर !


सोमवार, 27 मार्च 2017

बहुत दिनों बाद एक पैरोडी --------

यू पी में खेल हुआ बच्चे सा 
मिट्टी के घर जैसे ओ कच्चे सा 

हाथी को मारा धप्पा 
ई ई ई ई 
साइकिल सर पर रख दौड़े 
और फेंका चक्का -चक्का 
भागे जैसे भगौड़े 
खुल गया भेद कच्चे चिट्ठे सा । 

यू पी में खेल हुआ बच्चे सा
जड़ में पड़ गए मट्ठे सा ।                          

वोटों का पहाड़ चमके जैसे चन्दा मामा 
देवबंद की जीत लागे जादू कारनामा 

वोटर की शान्ति से खाए गच्चे सा ।                             

यू पी में खेल हुआ बच्चे सा 
मिट्टी के घर जैसे ओ कच्चे सा । 

रविवार, 26 मार्च 2017

मौसम ---------

दो ही दिन में 
यह क्या से क्या हो गया?
पलक झपकते ही पारा 
इतना ऊपर चढ़ गया । 
संभाल भी ना पाए थे अभी 
कम्बल और रज़ाई 
कि फुल स्पीड पंखा पकड़ गया । 
पूछ रहे हैं रो - रोकर 
दस्ताने और ये मेरे मफलर 
कि जाड़े का वह मौसम 
कब, कहाँ और कैसे बिछड़ गया ?


निरुत्तर प्रदेश --------

योगी को मिल गया ताज 
भोगियों की उड़ रही हवा है ।  
हो कैसा भी मर्ज़ 
अब एक ही दवा है । 
घूम रहे थे जो लड़कियों के पीछे - पीछे 
बनके रोमियो, मजनू और फरहाद 
उनके लिए अब 
सिर्फ और सिर्फ 
हवालात की हवा है । 


ई. वी. एम ------- 

बहुत ऊंची चीज़ है 
यह वोटर मोहतरमा !
यह कभी भेड़ हो नहीं सकता । 
और ई.वी.एम.जैसी मशीन 
कोई छेड़ दे, हो नहीं सकता । 
करारी हार को पचा पाना 
होता नहीं इतना आसान
मखमली गद्दी का नज़रों के सामने से 
खिसक जाना,
अरे 
ये नज़ारा तो 
अच्छे अच्छों को हज़म नहीं होता । 


उत्तराखंड  -----------

अनुमान सारे थे जितने 
धरे के धरे रह गए । 
उड़ रहे थे कल तलक जो आसमानों में 
दिन- रात को एक करके 
आज ज़मीन पर खड़े के खड़े रह गए । 
दारू, कम्बल, मुर्गा,
साड़ी, मंगलसूत्र और रुपैय्या 
भांप नहीं सकते किसी के मिज़ाज को 
ये वोटर हैं साहेबान ! वोटर 
इनको पढ़ने में तो 
बड़े से बड़े रह गए । 


बाहुबली  --------

बिना हथौड़े के 
चट्टान तोड़ी नहीं जाती । 
अकेले चने से भाड़ 
फोड़ी नहीं जाती । 
कौन समझाता उन्हें 
बताता कौन उन्हें 
कि 
टूटे हुए सपने और 
टूटी हुई उम्मीदें 
महज़ लफ़्फ़ाज़ों के 
फेवीकॉल से 
जोड़ी नहीं जाती ।