सोमवार, 19 मई 2014

चुनावी क्षणिकाएँ

चुनावी क्षणिकाएँ 

वे 
बताएँगे
अपनी हार का कारण
कड़कती धूप,
कम मतदान,
वोटर का रुझान
और
उदासीनों का
वे क्या करते
श्रीमान ?
सच भी ये 
क्यूंकि 
आज भी 
महात्मा गांधी है 
मजबूरी का 
दूजा नाम । 

वे 
दिखाएंगे 
पूरी ईमानदारी 
स्वीकार करेंगे 
हार की ज़िम्मेदारी 
जनता के फैसले का 
करेंगे स्वागत 'औ 'सम्मान 
क्यूंकि 
आज भी 
महात्मा गांधी है 
मजबूरी का 
दूजा नाम । 

 वे 
करेंगे हार के 
कारणों की समीक्षा 
मजबूरन 
पाँच साल तक 
मौके की प्रतीक्षा 
सबके 
सिरों को जोड़ेंगे 
फिर ठीकरों को 
फोड़ेंगे 
साफ़ बचेगा 
हाईकमान 
क्यूंकि 
आज भी 
महात्मा गांधी है 
मजबूरी का 
दूजा नाम ।     [मास्टरनी ]