सोमवार, 30 जून 2014

मान जाओ

मान जाओ मानसून .... 

मान जाओ 
सुन लो 
मानसून 
अब आ भी जाओ । 

मत 
तरसाओ 
जल्दी से आओ 
सब तर कर जाओ । 

बरस 
बाद आए हो 
पाहुन 
बिन बरसे मत जाओ । 

यूँ  ही 
मत गुजरो  
तुम 
ज़ोर - ज़ोर से गरजो । 

मत लो 
हमसे बदला 
प्यारे - प्यारे 
तुम हो बदरा । 

सूख गई  
सारी धरती 
इस धरती को 
अब सुख सारे दे जाओ । 

प्यासी 
अँखियों को 
और न भटकाओ 
भर दो गागर 
भर दो सागर  
नदियों का 
सीना भर जाओ । 

सुनो  ! मान जाओ 
मानसून 
अब आ भी जाओ ।        [मास्टरनी ]