शनिवार, 31 दिसंबर 2011

छोटा सा यह एक झरोखा, पेश है साल का लेखा - जोखा

छोटा सा यह एक झरोखा, पेश है साल का लेखा - जोखा

जनता के अन्नाने का साल, कांग्रेस के भन्नाने का साल |

टीम अन्ना का का जन लोकपाल, हर कीमत पर रोकपाल | 

भ्रष्टाचार के खिलाफ जिसने ताना टेंट, संघ का कहलाए एजेंट |
 
यू पी के चार टुकड़े, बहिनजी ने रोए दुखड़े |

बहुजन हिताय, करोड़ों का पार्क बनवाए |

सर्वजन सुखाय, खुद की मूरत पर माला चढ़ाए |

जीते सुशील ने पाँच करोड़, चेक अभी मिला नहीं, मांगने वालों की होड़ |

किंगफिशर को घाटा भारी,  कलेंडर गर्ल्स उदास बेचारी |

फार्मूला रेस वन,  ट्रेक पर कुत्तों का फन | 

वी.आई.पीओं का नया ठिकाना,  लेडी गागा ने गाया गाना |

अपराधी नेता हुए,  नेता अपराधी,  मची तिहाड़ में आपाधापी |

अंगूर निकले बेहद खट्टे,  एक थैली में आ गए चट्टे - बट्टे |

यू पी वालों !  कब तक मांगोगे तुम भीख | 

घुस कर घरों में मेरी तरह,  मुफ्त का खाना सीख |

विश्व  कप पर मिला कब्जा, रहे सलामत ऐसा जज्बा |

नंगई और गाली - गलौच,  बिग बॉस में भरी है फ़ौज |

मर्द से कम नहीं औरत,  पोर्न स्टार ने बटोरी शोहरत |

कभी मिलन कभी जुदाई, फिर गले मिले अम्बानी भाई |

सोशल नेटवर्किंग पर बैन,  कपिल सिब्बल का छिन गया चैन |

पड़ गए नरम चिदंबरम, प्रणव का पारा गरम |

टी.वी. से हो गई नफरत, चैनल - चैनल दिग्गी सूरत |

रामदेव ने बचाई जान,  प्राणायाम ना आया काम |

औरत का धर कर रूप, लीला दिखाई खूब | 

 सी. डी. ने मचाया तूफ़ान, सरकार हुई हलकान |

फंस गया भंवर में देखो, म्हारो प्यारो राजस्थान | 

चमचों को मिला सम्मान, डिक्शनरी में जुड़ गया नाम  |

नाक में नली, हाथ में सुई, दो दिन के मेहमान |

शुक्ल जी को मिल गया ज्ञानपीठ सम्मान |

घटती बढ़ती पेट्रोल की कीमत,  कारों ने कर रखी है आफत |

खुमैनी, मुबारक और गद्दाफी, मिली नहीं जनता की माफ़ी  |

एबटाबाद में ढेर ओसामा, सीधा प्रसारण देखें ओबामा |

फुस्स ज़रदारी, गिलानी, कियानी, छाई रही तो बस हिना रब्बानी |

सीमा  पर है टेंशन, फिर भी मोस्ट फेवर्ड नेशन |

वाल स्ट्रीट पर आक्रोश,  महाशक्ति का उड़ गया होश |

भूकंप से जापान थर्राया, फिर भी तनिक ना घबराया | 

रीटेल की रेलम पेल, वॉल मार्ट की ठेलम ठेल |

कोई तरकीब काम ना आई, हाय महंगाई हाय महंगाई | 

रथ यात्रा, पद यात्रा, मौन व्रत, उपवास |

अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग |

बीमारों के बने काल,  अपराधियों के बने ढाल |

मर रहे बच्चे आए दिन, रो रहा पश्चिम बंगाल |

योजना आयोग का जलजला, मचा आंकड़ों पर हल्ला |

जिसकी धुन पर जनता वारी, धनुष ने गाया कोलावारी  |

रख कर हाथ खाते हम झूठी सौगंध, रूस में उस गीता पर प्रतिबन्ध |

हुसैन, हजारिका, जगजीत, देव का अवसान, कला के क्षेत्र में भारी नुकसान |  

सन् दो हज़ार ग्यारह, चंद पलों में हो जाएगा नौ दो ग्यारह |

दिल से मेरे दुआ ये निकले, दो हज़ार बारह में हो जाए सबकी पौ बारह  |
 



शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

कोई अन्ना को समझाओ कि.....


भ्रष्टाचारी की विशेषताएँ ........


भ्रष्टाचारी विनम्रता की प्रतिमूर्ति होता है ............... उसकी वाणी में मिठास घुली रहती है | चेहरे पर सदा मुस्कान खिली रहती है | उसे किसी किस्म के आर्ट ऑफ़ लिविंग में जाने की आवश्यकता महसूस नहीं होती | इसके विपरीत ईमानदार अधिकारी शांति की तलाश में भटकता रहता है, इस गुरु और उस गुरु की शरण में जाने पर भी उसके चित्त को शांति नहीं मिलती

 

भ्रष्टाचारी जनमानस के लिए सदैव उपलब्ध रहता है ...........ईमानदार अधिकारी ना फ़ोन पर उपलब्ध रहते हैं ना घर पर मिलते हैं | जबरन  घर में चले जाने पर पूजाघर में या बाथरूम में पाए जाते हैं | जबकि भ्रष्टाचारी, भ्रष्टाचार की ही तरह सदैव उपलब्ध रहता है कभी आगंतुकों से मुँह नहीं छिपाता |  मिलने के लिए उसे इस तरह के टुच्चे बहाने बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ती  | 

 

भ्रष्टाचारी अगले जन्म की परवाह नहीं करता .....ईमानदारों को जहाँ अपने अगले जन्म की परवाह होती है, अक्सर वे ये कहते पाए जाते हैं '' आखिर भगवान् को भी मुँह दिखाना है'', '' वह सब देख रहा है''  वहीं भ्रष्टाचारी अपने अगले जन्म की परवाह नहीं करता है | ईर्ष्यालु लोग लोग  उसके  अगले  जन्म  में  साँप - बिच्छू, कीड़ा - मकौड़ा इत्यादि बनने की कामना करते रहते हैं, लेकिन वह अपने पथ से विमुख नहीं होता

 

भ्रष्टाचारी कभी किसी काम के लिए इनकार नहीं करता .....वह सदैव यह कहता पाया जाता है '' हो जाएगा'', ''हम हैं तो किस बात की फ़िक्र , आप निश्चिन्त होकर जाइए '' इसके विपरीत ईमानदार सदैव इस प्रकार के रटे - रटाए प्राचीन काल से चले आ रहे काम ना करने के बहाने बनाएगा '' यह नियमविरुद्ध है '', बहुत मुश्किल काम है '', ''कोशिश करेंगे '', अव्वल तो एप्लीकेशन पकड़ने से ही इन्कार कर देंगे अगर रख भी लेगा भी तो बहुत एहसान के साथ कि  '' रख जाइये देखते हैं क्या होता है'' या ''हमारे हाथ में कुछ नहीं है '' |

 

भ्रष्टाचारी किसी से ईर्ष्या नहीं करता ..........उसके दिल में सबके लिए प्रेम भरा रहता है |  इसके विपरीत ईमानदार सदैव कुंठा का शिकार रहता है | वह खुद खा नहीं पाता इस कारण खाने वालों को फूटी आँख नहीं देख पाता और अक्सर इनकम टैक्स वालों से शिकायत करता है या आर. टी. आई. के अंतर्गत सूचनाएं मंगवाता रहता है |

 

भ्रष्टाचारी स्वागत सत्कार में निपुण होता  है ..........वह ना केवल स्वागत करेगा वरन चाय व नाश्ता भी करवाता है | उसकी अनुपस्थिति में उसके बीबी - बच्चे ड्राइंग रूम में बिठा कर  आपका स्वागत करते हैं और उनके आने का इंतज़ार करने के लिए कहते हैं ईमानदार अधिकारी स्वागत तो दूर रहा आपको पानी के लिए भी नहीं पूछेगा इस तरह के आदमी अपने बीबी बच्चों को हड़का के रखता है मजाल है कि कोई उसके यहाँ किसी को बैठने के लिए कहा जाए | हाथ में मिठाई या फल इत्यादि देख लेने पर वह गुस्से में लाल पीला हो जाता है | कभी लालच में बीबी ने मिठाई का डिब्बा अन्दर रख लिया तो वह पहले तो बीबी की सात पुश्तों का श्राद्ध  करता है उसके बाद मिठाई  लाने वाले की | बेचारी मिठाई सबसे महंगी दुकान की होने के बावजूद सड़क के कुत्ते के पेट में जाती है |

 

भ्रष्टाचारी लोकप्रिय  होता है.............भ्रष्टाचारी अपने समाज व रिश्तेदारी में बहुत लोकप्रिय होता है | आने जाने वालों का आदर सत्कार करता है | उसके घर में आप दूर - दराज से आए रिश्तेदारों या बरसों पुराने मित्रों को देख सकते हैं | वहीं ईमानदार हमेशा इस आशंका से ग्रस्त रहता है कि कहीं आगंतुक उससे किसी काम के लिए ना कह दे, इस डर से वह अपने सगे रिश्तेदारों को भी पहचानने से इनकार कर देता है यहाँ तक कि वह किसी को अपना मोबाइल न. तक नहीं देता | लोग आश्चर्य करते हैं लेकिन वह इस हाई टेक ज़माने में यह तक कहने की हिम्मत रखता है कि '' मैं मोबाइल नहीं रखता ''| अगर किसी को न. दे भी दे तो बेकार है क्यूंकि वह फोन उठाता ही नहीं है |

 

 भ्रष्टाचारी  के अधीनस्थ कर्मचारी प्रसन्न रहते हैं ............भ्रष्टाचारी के अधीनस्थ कर्मचारी उसे देव तुल्य मानते हैं | वह जानता है कि कोरी  तनखा से जब उसकी गुज़र नहीं होती तो बेचारे कर्मचारियों की क्या होगी | इसके लिए वह चपरासी से लेकर हर छोटे बड़े अफसर का कमीशन फिट कर देता है | उसके हर छोटे व बड़े काम चुटकियों में हो जाते हैं |  इसके विपरीत एक ईमानदार आदमी के लिए सारा स्टाफ दुश्मन हो जाता है | उसके अधीनस्थ कर्मचारियों के चेहरे पर तनाव झलकता रहता है | वे सदैव आशंकित रहते हैं कि कब किसकी खाट खड़ी हो जाए | यहाँ जॉब सेटिस्फेक्शन का नितांत अभाव पाया जाता है | यही कारण है कि सेवानिवृत्त होने के कई सालों तक उसकी पेंशन और फंड रोज़ चक्कर काटने के बाद भी नहीं मिलते

 

भ्रष्टाचारी  सहनशील, धैर्यवान एवं कर्तव्यपरायण होता है ............ भ्रष्टाचारी आम जनता की गालियाँ भी हँसते हँसते सहन कर लेता है | उसे कभी ईमानदार अधिकारी की तरह ज़रा ज़रा सी बात पर  भड़कते हुए नहीं देखा जाता | उसके जैसा कर्तव्यपरायण ढूँढने से भी नहीं मिल सकता | एक बार जिस काम के लिए पैसे ले लिए उसे वह हर हाल में पूरा करके ही छोड़ता है, चाहे इसके लिए उसे कितनी ही जिल्लत या दिक्कत क्यूँ ना उठानी पड़े

 

 भ्रष्टाचारी के अन्दर  भ्रातत्व की भावना होती है ......भ्रष्टाचारी अधिकारी  कितने ही बड़े पद पर क्यूँ ना हो, कभी किसी पर अपना रूआब नहीं डालता | इसके विपरीत ईमानदार अधिकारी सदैव दूरी बनाए रखता है भ्रष्टाचारी जुगाड़ लेकर आने वालों का भी सम्मान करता है |  ईमानदार आदमी अपने एकमात्र गुण ईमानदारी की आड़ में किसी को कुछ भी कहने में संकोच नहीं करता | वह अपने अलावा सारी दुनिया को भ्रष्ट मानता है | उसे सारी दुनिया ही अपनी दुश्मन मालूम पड़ती है

 

भ्रष्टाचारी  का घर परिवार सुखी एवं संतुष्ट रहता है ...........भ्रष्टाचारी की पत्नी, बच्चे, माँ एवं बाप उससे सदा प्रसन्न रहते हैं | उनके चेहरों से सुख व संतुष्टि छलकती रहती है | माता पिता का आशीर्वाद उसके साथ रहता है, पत्नी प्रेम करती है और बच्चे आज्ञाकारी होते हैं |  उसके घर में विभिन प्रकार के पूजा - पाठ, जप तप चलते रहते हैं, जिसके फलस्वरूप दुश्मन उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते | मोटी दक्षिणा मिलने के कारण पंडित भी उनके घर में पूर्ण मनोयोग से पूजा संबंधी कार्य संपन्न करवाते हैं | इसके विपरीत  ईमानदार आदमी के घर में सदैव कलहपूर्ण वातावरण रहता है | उसके माता - पिता कभी तीर्थ यात्रा पर नहीं जा पाते | पत्नी किटी पार्टियों में शामिल नहीं हो पाती | बच्चे ढंग की जगह से शिक्षा नहीं ले पाते | मोटा डोनेशन ना दे पाने के अभाव में ऊँचे कॉलेजों में उनका दाखिला नहीं हो पाता | फलतः सालों तक सरकारी नौकरी की आस में चप्पलें घिसते रहते हैं, और बाप की ईमानदारी को पानी पी - पी कर कोसते  हैं

 

समाज के सच्चे सेवक होते हैं ..........भ्रष्टाचारी दान देने में अग्रणी होता है | शहर की कई संस्थाओं को वह मुक्त हस्त से दान दिया करता है | उसके द्वार पर आने वाला कोई साधु, संत या भिखारी खाली हाथ नहीं जाता | ईमानदार अधिकारी जहाँ  मांगने वालों को देखते ही कुत्ता खोल देता है, या सहेज कर रखी गई चवन्नियां और अठन्नियां भिड़ा देता है,  भ्रष्टाचारी अपने पर्स का मुँह खोल देता है | मांगने वाला उसे ढेरों आशीर्वाद और ईमानदार को गालियाँ देकर उसके दरवाज़े पर थूक भी जाता है |

 

सदैव हँसते - मुस्कुराते पाए जाते हैं .............भ्रष्टाचारी हर परिस्थिति में प्रसन्न रहता है | ईमानदार आदमी की हमेशा भवें तनी रहती हैं | मुस्कान कोसों दूर रहती है | तनाव से उसका चोली - दमन का साथ रहता है | रात को नींद की गोली ही उसे सुला सकती है |  वह दुनिया से दुखी मालूम पड़ता है | मुस्कुराकर बात कर लेने भर से उसे यह खटका लगा रहता है कि कहीं उसे किसी का काम ना करना पड़ जाए |

 

त्याग की प्रतिमूर्ति होता है ...........भ्रष्टाचारी सदैव अपने घरवालों के लिए भ्रष्टाचार का मार्ग अपनाता है | स्वयं से अधिक बीबी  और बच्चों के भले के लिए सोचता है | अपने नाम पर वह नाम - मात्र की धन और संपत्ति रखता है, बाकी सारी दौलत पत्नी के नाम कर देता है | ईर्ष्यालु वाले लोग कहते हैं कि वह इनकम - टेक्स बचाने के लिए ऐसा करता है | काम करने के लिए वह अपनी बदनामी की परवाह नहीं करता ईमानदार कहता है '' मैं किसी के लिए अपनी नौकरी को दांव पर नहीं लगा सकता'' लेकिन भ्रष्टाचारी आपका काम किसी भी कीमत पर करने के लिए अपनी नौकरी तक दांव पर लगा सकता  है

 

इसीलिये साथियों  हमें भ्रष्टाचार को समाप्त करने का संकल्प लेना चाहिए, भ्रष्टाचारी को नहीं क्यूंकि अगर समाज से भ्रष्टाचारी विलुप्त हो जाएगा तो गंभीर परिणाम होंगे

रविवार, 4 दिसंबर 2011

खुदरा या खुरदुरा व्यापार ....

खुदरा या खुरदुरा व्यापार 
 
साथियों, अर्थशास्त्रीय विश्लेषणों और राजनैतिक  हलचलों और से दूर वालमार्ट इत्यादि विभिन्न प्रकार के बाजारों  के सम्बन्ध में मेरे दिमाग में कुछ  सवाल घूम रहे हैं  | क्या मेरे चंद सवालों का जवाब किसी के पास है ?  
 
क्या वालमार्ट हम महिलाओं की मोलभाव वाली भावनाओं में  निवेश करेगा ?
 
''भाईसाहब, कित्ते का दिया ?'' 
''बाप रे बाप इत्ता महंगा !'' 
''कुछ तो रहम करो''
''ऑटो और रिक्शे के लिए तो छोड़ दो''
''मेरे पास इत्ते ही पैसे बचे हैं''
क्या वहाँ पर्स उलटकर सुबूत तक दे डालने  की  सुविधा होगी ? और क्या वालमार्ट पर्स के अन्दर की जेबों को चेक किये बिना इस पर सहज विश्वास कर लेगा ?
 
 बिलिंग करवाते समय  जुबानी तौर पर एम्. आर. पी. से पचास रूपये कम करवाने की, फिर बिल जोड़ते समय  बीस रूपये और कम करवाने की, अंत में भी दस रूपये कम देने की सुविधा प्रदान करेगा वालमार्ट ?  
 
 हमारे बरसों से चले आ रहे खानदानी कार्ड स्वैप  हो पाएँगे जिसके अंतर्गत  आज भी कई बुज़ुर्ग दुकानदार ऐसे हैं जो शक्ल देखते ही पहचान जाते  हैं और अन्य ग्राहकों को गर्व से बताते हैं......
 ''सबसे पहले  इनकी नानी की शादी में, फिर इनकी  माँ की शादी में,  और फिर इनकी शादी में यहीं से सामान गया था ''| इनकी दुकान के बेटे और नौकर सब आपको पहचानते हैं | यहाँ बस आपको पड़ोस की दुकान का थैला सफाई से छुपाना पड़ता है |  इस प्रकार की दुकानों में पैसे कम करवाने के लिए एक शब्द भी नहीं कहना पड़ता |  बस उधारी का खाता होने के कारण यहाँ  आपको बरसों पुराना सड़ा  - गला माल दिखाया जाता है,  वह भी सारे ग्राहकों को तसल्ली से निपटाने के बाद  | आपके पास  खून के घूँट पीकर हँसते - हँसते अपनी बारी का इंतज़ार करने के सिवा कोई चारा नहीं बचता |
यहाँ एक दूसरे की मजबूरी को भली प्रकार समझा जाता है |
 
 वहाँ ''आज नकद कल उधार'' या 'उधार प्रेम की कैंची है' बड़े - बड़े शब्दों में  लिखा होने पर भी आपको बहुत प्यार से उधार मिल जाएगा ?  जिसे  हम सुविधानुसार मनमाफिक किस्तों में अपनी जेबानुसार दो चार सालों में  चुका सकें | 
 
क्या वालमार्ट  में इस तरह के दृश्य दिखाई देंगे ?
 ''नई नमकीन आई है बहिनजी, ज़रा चख कर देखिये, आप बार - बार मांगेंगी''
''जा पप्पू दौड़ कर गोदाम से बहिनजी के पसंद के बिस्किट लेकर आ,  अभी दो मिनट में आ रहा है'' कहकर घंटे भर तक कोई बिठाए रखेगा ? इस दौरान वैष्णो देवी की यात्रा के किस्से सुनाकर वहाँ का प्रसाद और माता का का फोटो  देगा ?
 
 क्या वालमार्ट में  ''भाई साहब, ज़रा झोला दुकान में रख लीजिये, बस दो मिनट में आती हूँ '' कहकर मुख्य बाज़ार में रहने वाली दोस्त के घर चाय पीने जाया जा सकता है  ? 
 
 क्या मेरे सब्जी वाले की तरह  वालमार्ट के फ्रेश स्टोर वाला  पचास रूपये की सब्जी लेने पर पाँच रूपये की मिर्च और धनिया मुफ्त में थैले में डाल देगा ?   ''बहिनजी अगर कद्दू ख़राब निकले तो कल पकी - पकाई सब्जी वापिस पटक देना'' कहकर सब्जी की गारंटी लेगा |   

''कहीं बासी तो नहीं है'' शंका मात्र व्यक्त करने पर तुरंत फल के ठेले वाला चाकू लेकर अनार के दो टुकड़े कर के हथेली पर रख देगा ? 
 
 पहली पहली  बार वालमार्ट में  जाने पर  ''रोज़ तो यहीं से ले जाते हैं भैय्या, आज आप ऐसी बात कर रहे हैं, लगता है पहचान नहीं रहे हैं''
''हम तो जबसे इस शहर में आए हैं, और किसी दुकान में जाते ही नहीं हैं'' हम कोई आज के ग्राहक थोड़े ही हैं '', कहने पर वहाँ  आसानी से विश्वास कर लिया जाएगा ?
 
 क्या वालमार्ट सारी बाज़ार में घूम कर साड़ियों के दाम पता करके आने वाले मेरे जैसे हर ग्राहक को उसकी विशिष्टता का एहसास  कराएगा ?
 ''हम जानते हैं बहिनजी ! आप कहीं और जा ही नहीं सकती, पूरी बाज़ार में सबसे सस्ती और अच्छी साड़ी आपको और कहीं नहीं मिलेगी   ''
'' किसी से कहियेगा मत, ये दाम सिर्फ़ आपके लिए लगा रहा हूँ , आप पुरानी ग्राहक हैं इसलिए ''| 
''आपकी पसंद सबसे अलग होती है, जो सिर्फ़ हमको पता है''
'' ये साड़ियाँ आपके लायक नहीं हैं, मंगलवार को आइयेगा, नया माल आने वाला है''   
 
क्या वालमार्ट में कोई  पाँच सौ रुपयों तक के कपड़े खरीदने पर  चाय और दो हज़ार के कपड़े खरीदने पर  कोल्ड ड्रिंक पिलाएगा ? हमारे हाथों में ज्यादा सामान  हो जाने पर सड़क तक जाकर रिक्शा बुलाने की जहमत उठाएगा ? कार में बैठे होने की दशा में सड़क से हाथों के इशारे को समझ कर ब्रेड का पैकेट उठा कर खिड़की से पकड़ा देगा ?
 
 क्या वहाँ यह कहकर  कोई हमारे ज्ञान चक्षु खोलेगा ........
 '' बहिनजी हमारा  तो सिद्धांत है कि कस्टमर एक बार आए तो  बार - बार आए''
''गलत पैसा नहीं मांग रहे हैं'' 
'' बहुत कम मार्जिन मिलता है बहिनजी, बिलकुल ना के बराबर''   
बगल में रेट चिपकाने वाले मशीन रखकर बड़े ही एहसान से कहेगा '' एम्. आर. पी. देख लीजिये, आपको बीस परसेंट डिस्काउंट दे रहा हूँ ''  |
''ये चप्पल आपने कितने की लीं ? 
हमारी दुकान से ली होती तो  पच्चीस रूपये कम में मिल जातीं , आप ठगी गईं ''
''लगता है डुप्लीकेट पर्स भिड़ा दिया आपको | आगे से बढ़िया पर्स खरीदने  हों तो मेरे भाई की दुकान पर जाइए | ये रहा कार्ड | कल ही ओपनिंग हुई है , मेरा नाम ले लीजियेगा , पाँच प्रतिशत  डिस्काउंट  मिल जाएगा'' |
 
 क्या कभी  वालमार्ट में  ज्यादा भीड़ होने की स्थिति में  काउंटर पर सौ रूपये का नोट देने पर जल्दीबाजी में पाँच सौ रूपये के छुट्टे वापिस होंगे  |
 
 क्या वालमार्ट में इस तरह के अपनेपन का एहसास होगा ? 
 ''बहुत दिनों बाद दिखाई दीं'' |
''आजकल तो आपने आना ही छोड़ दिया'' |
 ''आपकी अपनी दुकान है, चाहे जब बदल लेना'' 
''पैसे कहीं भागे थोड़े ही जा रहे हैं ''
''कम हैं तो अगली बार दे देना''
''ना आप कहीं जा रहे हो ना हम " 
'' घुटने का दर्द कैसा है ?'' 
 
 वहाँ '' क्या भैय्या, कैसी दाल दी थी, घुन ही घुन भरे थे '', कहकर बिनाबिल दिखाए दाल वापसी की सुविधा होगी ?
 
 पड़ोस की शादी में एक दिन पहिनकर,  टैग को वापिस लगाकर, ''कुरते का साइज़ छोटा निकला'' कहकर वालमार्ट में वापिस ले  लिया जाएगा ?
 
 क्या वालमार्ट एक फ़ोन करने से राशन - पानी घर पहुंचा जाएगा ? हमारे घर के लिए किरायेदार और कामवालियां बताएगा ? नए आने वालों को घर के पते के विषय में जानकारी देगा ?

 बुखार या सिर दर्द होने पर डिस्प्रिन मांगने के लिए रात - बेरात पड़ोस की दुकान की भाँति वालमार्ट का दरवाज़ा खटखटाया जा सकेगा ? अपने  पड़ोस की दुकान के  दुकानदार के झल्लाए हुए उनींदे चेहरे को हमने सदा अनदेखा किया और डिस्प्रिन की मामूली गोली को  हिसाब में लिख लेना'' कहकर लम्बे समय के लिए भूल गए जिसका भुगतान बार - बार याद दिलाने पर किया गया, वह भी इस शंका के साथ कि कहीं झूठ तो नहीं बोल रहा |
 
'' हमारे वो आप ही की तरह लम्बे चौड़े हैं, आप ही बताइए भाईसाहब कौन सी साइज़ की कमीज़ ठीक रहेगी ?  भाईसाहब ज़रा ये वाली शर्ट पहिन कर दिखाइए '' क्या वालमार्ट में कोई बीस - पच्चीस कमीजें खुशी - खुशी पहिनकर दिखाएगा ?
 
अगर वालमार्ट इत्यादियों में उपरोक्त सभी सुविधाएँ मिलेंगी तो भारत भूमि पर इनका तहे - दिल से स्वागत है|
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

शनिवार, 12 नवंबर 2011

कौन बनेगा करोड़पति के अगले सीज़न की तैयारी कर ली है ....कितना जीत सकती हूँ बताइए ?

 
आजकल टेली विज़न  पर करोडपति बनने और बनाने का मौसम छाया हुआ है | शो ख़त्म होने को है और लगातार एक के बाद एक करोडपति बने जा रहे हैं  और मैं आँख फाड़े - फाड़े देखती जा रही हूँ | इस मौसम में तो मेरा भाग लेना संभव नहीं हो पाया पर अगले मौसम के लिए मैंने अभी से तैयारियां  शुरू कर दी हैं | शो में भाग लेना कोई हँसी खेल तो है नहीं | सालों लग जाते हैं ढंग की तैयारी  करने में | प्रतिभागियों को देख - देख कर शो की कुछ तैयारियां मैंने कर ली हैं जो इस प्रकार हैं -
 
मैंने याद कर ली है बच्चन खानदान की वंशावली | वैसे बता दूँ की अपनी वंशावली मुझे कभी याद नहीं हो पाई | यहाँ तक कि अपने निकट के सम्बन्धियों के अलावा  मुझे कोई रिश्ता याद नहीं हो पाया, ना ही मैंने इसको समझने की झंझट उठाई  | रिश्तों से सम्बंधित इस तरह के प्रश्न जब भी किसी प्रतियोगी परीक्षा में देखे, फ़ौरन उन्हें छोड़ कर आगे बढ़ गयी | थोड़ी दूर के समस्त  रिश्ते - नाते मेरे लिए ज़िंदगी भर अंकल,  आंटी और कज़िन  बने रहे |
 
 मैंने कंठस्थ कर ली है पूज्य हरिवंश राय जी एवं तेजी  बच्चन जी की जन्म और  मृत्यु  की तिथि  | हरिवंश राय जी की समस्त कृतियों के नाम |  पूरी की पूरी मधुशाला, वह भी तर्ज में | इसके अलावा उनकी कई अन्य प्रसिद्द कविताएँ | इनमे से कई कवितायेँ स्कूल के समय में मेरी किताबों में भी थीं, जिन्हें मैं कवि का नाम पहचान नहीं पाने के कारण  परीक्षा में सदा छोड़ दिया करती थी  |
 
मैंने याद कर लिया है ----
 
सामान्य ज्ञान के अंतर्गत  अमिताभ बच्चन की सभी सफल फिल्मों के नाम | कुछ प्रसिद्द डायलॉग, उन्हीं के अंदाज़ में | अभिषेक, जया ,ऐश्वर्या  की समस्त फिल्मों के नाम  | उनके गाए हुए सभी गाने, जिन्हें गाने की जिद मैं अमित जी से हॉट सीट पर बैठकर करूंगी | वे लाख  मना करते रहेंगे, लेकिन मैं दो लाइनें सुने बगैर किसी भी हाल में नहीं मानूंगी | मैं ना उनका स्वास्थ्य  देखूंगी ना उम्र ना उनकी इच्छा | वे लाख कहते रहें कि उन्हें याद नहीं है लेकिन मुझे यह पक्का यकीन होगा कि उन्हें अपनी सारी फिल्मों  के सभी डायलॉग  और गाने कंठस्थ हैं और वे बहाना कर रहे हैं | 
 
मैंने बना ली है बच्चन चालीसा | अमिताभ स्तुति |  कुछ कविताएँ | चंद फुटकर शेर |  जिनका मैं  हॉट सीट में बैठकर सस्वर वाचन  करूंगी  | मैंने रिसर्च  कर ली है, उनकी ज़िंदगी की सभी बड़ी और छोटी घटनाओं के विषय में | हर प्रश्न के उत्तर के साथ मैं इन घटनाओं को ज़रूर सुनाउंगी, जिससे की अमिताभ चमत्कृत हो जाएँगे |  
 
मैं भूल गई हूँ, उपरोक्त परिवार  की  असफल और गुमनाम फिल्मों के नाम, उन फिल्मों को भी जिन्हें   देखकर सिनेमा हॉल  के मालिक से पैसे वापिस लेने की बात पर युद्ध तक की नौबत आ गई थी, या कभी इंटरवल पर उठ कर डायरेक्टर, प्रोड्यूसर समेत बच्चन खानदान को  गाली देते हुए लौट आए थे |
 
मैं भूल जाना चाहती हूँ   महात्मा गाँधी, बोस, पटेल, शास्त्री समेत  देश के कई  असली नायकों को |  मेरी नज़र में इस दुनिया में कोई नायक हुआ है तो वो सिर्फ़ अमिताभ बच्चन |

मैंने रट लिए हैं कुछ अंग्रेज़ी वाक्य | यह जानते हुए भी कि अमिताभ शो में सिर्फ़ शुद्ध हिन्दी बोलते हैं, मैं यथासंभव अपना अंग्रेज़ी ज्ञान बघारने का प्रयत्न करूंगी | उनके हिन्दी में पूछे गए सवाल का उत्तर सिर्फ़ अंग्रेज़ी में दूंगी |  फोन ए फ्रेंड के अंतर्गत मैंने उन लोगों का नाम शामिल किया है, जो चाहे किसी भी प्रश्न का उत्तर ना जाते हों, लकिन अमिताभ जी के  भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी रखते हों, और उनके सबसे बड़े फैन  होने का दावा करते हों |
 
मैंने ताकीद दे दी है अपने पति को जिन्हें मैं अपने साथ लेकर जाउंगी कि वे अमिताभ जी की शान में चंद वाक्य रट लें ,  उनकी तरफ कैमरा आते ही वे बोलना शुरू हो जाएँ हो सके  तो उन्हें बताएं कि हमारे घर में बातें होती हैं तो सिर्फ अमिताभ बच्चन और उनके खानदान की | फ़िल्में देखी जाती हैं  तो सिर्फ़ और सिर्फ़ बच्चन परिवार की  | विज्ञापन देखते हैं तो बस इसी परिवार के | प्रोडक्ट खरीदते हैं तो सिर्फ़ वही जो यह खानदान बताता है |
 
मैंने शुरू कर दी है अभी से पैर छूने की कोशिश  | अपने माता - पिता  के चरण जिन्हें जब से होश संभाला है, तब से  स्पर्श नहीं किये | भला  हो इस शो का जिसने मुझे फिर से यह अवसर प्रदान किया | ये अलग बात है कि माता - पिता अमिताभ जी की तरह हमें चरण स्पर्श करने से रोकते  नहीं हैं , बल्कि खुशी - खुशी आगे बढ़ा देते हैं | उन्हें लगता होगा कि क्या पता कि ऐसा  दुर्लभ अवसर दोबारा आए ना आए | 
 
मैंने याद कर लिए हैं महान शब्द के पर्यायवाची | हर प्रश्न पर अमिताभ जी की तारीफ में कुछ ना कुछ  शब्द जड़ दूंगी | प्रश्न का उत्तर आए ना आए, उनकी तारीफ में शब्दों की कमी नहीं पड़नी चाहिए | 
 
मैंने हिदायत दे दी है अभी से अपने घरवालों, रिश्तेदारों, मित्रों  और सभी सम्बन्धियों को , कि आज और इसी वक्त से  अमिताभ बच्चन को अपना प्रिय अभिनेता घोषित कर दें | घर में महंगाई, बजट, भ्रष्टाचार को छोड़कर  सिर्फ़ बच्चन खानदान और उनकी फिल्मों की चर्चा होनी चाहिए |  यह जानते हुए भी कि इनाम की राशि चैनल देता है और अमिताभ बच्चन सिर्फ़ इस कार्यक्रम को प्रस्तुत करते हैं और इसकी एवज में मोटा पैसा लेते हैं | 
 
मैं भरसक प्रयास कर रही हूँ अपनी ज़िंदगी के सभी पीले हो चुके पन्नों को पलटने का, जिनका दूर - दूर तक अमिताभ बच्चन से कोई सम्बन्ध नहीं है  | मेरी ज़िंदगी का कोई भी पल अमिताभ जी को बताने से छूट ना जाए | मेरा यह मानना है कि उनके पास ही वह  जादू की छड़ी है, जिससे मेरी सारी तकलीफें दूर हो सकती हैं  ,जिसे मनमोहन सिंह सरकार  सँभालने के अगले ही दिन से ढूंढ रहे हैं  
 
यह जानते हुए कि  हर आम आदमी को अपनी ज़िन्दगी में जी तोड़  संघर्ष करना पड़ता है, यहाँ तक कि स्वयं अमिताभ बच्चन और उनके पिता ने भी अपनी ज़िंदगी में कठोर संघर्ष किया है,  मैं अपने संघर्षों की गाथा को अत्यंत मार्मिक अंदाज़  में प्रस्तुत करूंगी | मेरा यह पूरा प्रयास रहेगा कि अमिताभ जी को अपनी संघर्ष गाथा सुनाते समय मेरे साथ - साथ टी . वी. पर शो देख रही जनता की भी  आँखों में आँसू अवश्य आ जाएँ |
 
 

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

दिग्भ्रमित सिंह का एक और पत्र अन्ना के नाम ......

 
दिग्भ्रमित सिंह का  एक और पत्र अन्ना के नाम ......
 
प्रिय अन्ना हजारे जी, 
                               वैसे तो प्रिय कहलाने का हक़ आपने खो दिया है,  फिर भी चिट्ठी - पत्री की भी संसद की तरह  कुछ मर्यादाएं होती हैं, , जिन्हें निभाना आवश्यक होता  है | हांलाकि संसद की मर्यादाएं  हमें कभी भी सीमा में नहीं बाँध सकीं, तो चिट्ठी पत्री किस खेत की मूली है ?
 
आपसे  मेरी सबसे पहले यह शिकायत है कि आपने लड़ने के लिए भ्रष्टाचार जैसा विषय ही क्यूँ चुना, जबकि आपके पास लड़ने के अनेकों बहाने थे | हमने जनता को कई मुद्दे दिए थे, जिन पर आप आंदोलित हो सकते थे | इससे यह साबित होता  है  जब कोई खुद खाने  में असमर्थ होता है तभी उसे दूसरे का निवाला चुभता है |  हमने जनता को कमरतोड़ महंगाई दी, पेट्रोल डीज़ल को नई उंचाइयां प्रदान की, कसाब  और अफज़ल को बिरयानी दी | हर संभव और असंभव वस्तु पर घोटाले किये जा सकते हैं, यह दुनिया को बताया , जिसकी वजह से आज दुनिया हमारा लोहा मान रही है, और आप उसी लोहे की हथकड़ी हमें पहनाने की फिराक में लगे हैं |
 
अन्ना जी, आप यह  ना समझे कि हर बार आप अनशन  करेंगे और हर बार हम आपकी मांगों के आगे झुक जाएंगे | इस बार हमारे समीकरण ज़रा बिगड़ गए थे | अगली बार आपके अनशन के लिए हमने अभी से तैयारियां कर ली हैं | आपकी लीला रामलीला मैदान में दुनिया ने देखी, अब आप हमारी  लीला देखेंगे | हमने अपने नौजवानों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है कि कैसे और कब आपके बारे में अफवाहें फैलानी हैं  | आपके अनशन शुरू करते ही ये नौजवान  जनता को बताएँगे कि आपने अपने बढ़े हुए वजन को कम  करने के लिए अनशन का सहारा लिया है, ताकि आपको अपने घुटनों का ऑपरेशन ना करवाना पड़े | हम उस डॉक्टर का इंटरव्यू  सभी चैनलों  में प्रसारित करवाएंगे जो कहेगा जब - जब आपका मोटापा बढ़ता है आप किसी ना किसी मुद्दे को लेकर अनशन करने बैठ जाते हैं |
 
आपके समर्थन में आए लोगों के बीच में हमारे आदमी मौजूद रहेंगे जो मीडिया को यहाँ बताएँगे कि वे यहाँ घूमने और अपने रिश्तेदारों से मिलने या टी. वी के किसी भी चैनल पर उनका हो सके तो  थोबड़ा नहीं तो नाक, कान, गर्दन या शरीर का कोई भी हिस्सा  दिख जाए, इसलिए  आए हैं | आपकी टीम के सभी लोगों की कुण्डली हमने निकाल ली है, उन पर राहु - केतु कब और कैसे बिठाने हैं, इसकी  तैयारियां  पूर्ण कर ली गई हैं | विकास के कार्यों में हमने विगत वर्षों में इतनी तेजी कभी नहीं दिखाई  जितनी इस कार्य में दिखा रहे हैं |
 
आपके समर्थन  में आए हुए हर इंसान के बारे में जांच की जाएगी | कोई ना कोई किसी ना किसी राजनैतिक दल का समर्थक निकल ही आएगा | किसी न किसी ने बचपन से लेकर जवानी तक कभी न कभी भ्रष्टाचार का अचार चखा ही होगा | हमसे गलती यह हुई कि हमने उसे सब्जी की तरह खा लिया | आपसे सभी समर्थकों के साथ  आपके घनिष्ठ रिश्तों के विषय में जांच करवाई  जाएगी |  अभी तो सिर्फ़ आपके और  संघ से नाते के विषय में ही पता लगा पाए हैं | निकट भविष्य में सौ - पचास दलों के साथ आपकी सांठ  - गाँठ  संबंधी खुलासों का इंतज़ार कीजिये |
 
अनशन के दौरान आप जो पानी पियेंगे, उसके बारे में हमारी  टीम यह प्रचारित  करवाएगी कि इस पानी में तमाम तरह के मिनरल्स घुले हुए हैं, जो इंसान को बिना कुछ  खाए ना केवल ज़िन्दा बल्कि स्वस्थ रखते हैं तथा यह पानी आपको पड़ोसी मुल्कों से सप्लाई किया जा रहा है | पड़ोसी मुल्क का नाम नहीं बताएँगे, क्यूंकि वह हमें भी नही पता होगा | लोग स्वयं अंदाज़ा लगा लेंगे |  इस मिनरल वाले  पानी को  पीकर आप ताकतवर हुए, जिससे हम कमज़ोर हुए |  
 
आप इतने दिनों तक सिर्फ़ इसीलिये अनशन कर सके क्यूंकि हम देशवासियों  को दिखाना चाहते थे कि हमारे देश का एक बुज़ुर्ग तक बिना खाए हुए दस दिन तक ज़िन्दा रह सकता है | लोग हमारी आलोचना करते हैं कि हम गेहूँ को गोदामों में सड़ने देते हैं और कहीं किसान आत्महत्या कर लेते हैं | गेहूँ का सड़ना हमारी सम्पन्नता की निशानी है | हम बताना चाहते हैं कि हमारे देश में किसान आत्महत्याएं अपने व्यक्तिगत या घरेलू कारणों से करते हैं ना कि सरकारी नीतियों के कारण |
 
अन्ना जी,  हमारी पार्टी के एक नेता ने आपके विषय में सच कहा था कि आप सर से लेकर पैर तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं | हमारी सरकार आश्चर्यचकित हैं कि आपके बैंक  खाते में सढ़सठ हज़ार रूपये कैसे बचे हैं ? जबकि हमने आम आदमी को इस लायक नहीं छोड़ा कि उसके खाते में एक पैसा भी बच पाए, ऐसे में आप इतना रुपया बचा पाने में कैसे कामयाब हो गए ?  एक भ्रष्टाचारी ही इतना रुपया जमा कर सकता है | हमारी सरकार इस बात पर  भी इन्क्वायरी बैठाने वाली है |
 
वैसे अन्ना जी  मंदिरों की संपत्ति के विषय में अब जनता अनजान नहीं रही | आप मंदिरों को ही अपने निवास के लिए क्यूँ चुनते हैं, इस बात की गहराई से जांच की जा रही है | आप सोचते हैं कि वह मंदिर जहाँ आप निवास करते हैं, वहाँ वास्तु दोष  है | दरअसल यह वास्तु नहीं वरन  हर उस वस्तु का  दोष है, जो आपसे  जुडी हैं |  आपके मंदिर की वाल में लीकेज निकली, आभूषण खोटे निकले, जो सूरज आपके मंदिर तक रोशनी  पहुँचाता  था, उसकी किरणें धुंधली  निकलीं |  
 
आपके कारण मुझ पर लगातार हमले हो रहे हैं, आए दिन मेरी आलोचना हो रही हैं | मेरी हर बात का गलत मतलब निकाला जा रहा है |मेरे बयानों को तोड़ - मरोड़ कर पेश किया जा रहा है | तंग आकर मुझे मानहानि का दवा करना पड़ा, ताकि लोगों  एहसास हो सके कि मेरा अभी भी  कुछ मान शेष है, जिसकी हानि हुई है |  
 
आपका स्वास्थ्य ख़राब हो गया है और आप दुखी होकर अनिश्चित कालीन मौन पर चले गए हैं | वैसे  जनता और मेरी सरकार के कई लोगों का यह दृढ़  विश्वास  है कि मुझे भी बड़े भाई की तरह  मौन व्रत सदा के लिए ले लेना चाहिए, ताकि पार्टी , आलाकमान और देश की सेहत ठीक रहे | 
 
ऐसा नहीं है कि हमारी पार्टी में भ्रष्टाचार को लेकर तनाव  नहीं है | हम इसे लेकर बहुत चिंतित हैं | हमने बहुत मंथन किया और यह निष्कर्ष निकाला कि लोगों का नैतिक चरित्र का पतन हो गया है | हमें लोगों को नैतिक रूप से मज़बूत करना होगा | इसके लिए सिब्बल  जी ने यह सुझाव दिया है कि स्कूली पाठ्यक्रम , जिसकी उन्होंने  पहले से ही चूलें हिला रखी  हैं, में  आमूल चूल बदलाव किया जाएगा | किताबों में नैतिकता के पाठों की प्रधानता रहेगी | हर राज्य में नैतिक अफसरों की फौज नियुक्त करी जाएगी | संसद के शून्य काल को नैतिक काल में बदल दिया जाएगा | इस दौरान श्री श्री रविशंकर और भय्यु जी महाराज के नैतिक प्रवचनों की व्यवस्था की जाएगी | इससे  समाज में नैतिकतावाद की स्थापना को बल मिलेगा |
 
यूँ मैं आपको ई. मेल या एस. एम्. एस. भी  कर सकता था परन्तु अगर में ऐसा करता तो जनता को कैसे पता चलता | यह भी क्या बात हुई कि टाइप करो और फटाक से सेंड कर दो |  चार लोगों ने देखा ना पढ़ा  ना बहस हुई तो फायदा ही क्या ? इसके अलावा  जितनी देर एक एस. एम् .एस. टाइप करने में  लगती, उतनी देर में  कई टी. वी. चैनलों  को इंटरव्यू  दे सकता हूँ | और फिर  आज भी जो मिठास चिट्ठी - पत्री में है वह इन आधुनिक तरीकों में कहाँ ? चिट्ठी को सिरहाने रखकर सो सकते हैं, उसके हर शब्द पर मनन कर सकते हैं | और फिर अलावा मुझे यह अच्छे  तरह से ज्ञात है कि मेरे द्वारा आपको मेल भेजते ही मेल शरमा कर  स्वयं स्पैम में चली जाएगी |
 
जब तक अनिश्चितकालीन मौन व्रत पर हैं, मैं आपको रोज़ एक चिट्ठी भेजूंगा |  ..... आप पढेंगे, तिलमिलायेंगे, कुढ़ेंगे, लेकिन मुंह से कुछ नहीं बोल पाएंगे  |
 
 
 

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

कोई मुझे बताए कि ऐसा क्यूँ है .......

कोई मुझे बताए कि ऐसा क्यूँ है .......
 
जिसे चुप रहना चाहिए देश के सुकून की खातिर,  अमन ओ चैन की खातिर, जिसकी चुप्पी से  चारों ओर सुख और शांति होती है,  वह हर बात पर  बोलता क्यूँ है ?
जिसे सुनना चाहती है दुनिया सारी, जिसकी आवाज़ है ताकत हमारी, जिसके बोलने से क्रान्ति होती है, वह आज दुखी होकर मौन क्यूँ है ?
 
जिसे अस्पताल में इलाज़ चाहिए,  वक्त पर दवाएं  और एक अदद बिस्तर चाहिए, अपनापन, प्रेम, मीठे बोल, दया,करुणा, रुपया पैसा और हर तरह की सुविधा चाहिए, वह सड़क पर दम तोड़ता क्यूँ है ?
 जिसे जेल में  होना चाहिए, ज़मीन पर सोना चाहिए,  जो कल तक बिलकुल ठीक था, हँसता था, मुस्कुराता था, सत्ता के नशे में चमचमाता था,  सजा मिलते  ही उसको उसको दर्दे - दिल, दर्दे जिगर होता क्यूँ है ? बनके वी. आई. पी.  वह चैन से बिस्तर में सोता क्यूँ है ?
 
 
 
 
 

बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

व्रत - उपवास और कमजोरी .....उफ्फ्फ

 
साथियों नवरात्रियाँ चल रही हैं |  एक तो धार्मिक वजह से दूसरे  वजन कम करने के लिए मैंने भी व्रत ले रखे हैं | नौ दिन के व्रत शुरु करने से पहले मुझे भारी मानसिक तनाव से जूझना  पड़ा | व्रत में क्या - क्या खाया जाता है और क्या - क्या नहीं,  इसको जानने के लिए मैंने  तमाम लोगों की राय ली | पास - पड़ोस, नातेदारी, रिश्तेदारी की व्रत प्रिय बहिनों से संपर्क साधा | ये बहिनें  हफ्ते में पाँच दिन व्रत करती हैं |  इनसे पूछ कर मैंने व्रत का मेनू बनाया,  जिसका लाभ आप लोग भी उठा सकते हैं | विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के व्यंजन वाले कॉलमों पर तीखी  नज़र रखी | 'व्रत के दौरान क्या- क्या खाएं' वाले विशेषांकों को महीने भर पहले से सहेजना शुरू कर दिया था, ताकि ऐन  व्रत के समय कोई परेशानी ना खड़ी हो जाए | 
 
सुबह का नाश्ता ........
 
सुबह के नाश्ते में कोटू के आटे के चीले, [ मिलावटी कोटू की अफवाहों पर ध्यान ना देते हुए, प्राण जाए पर व्रत ना जाए वाली स्थिति  ] सेंधा नमक डले   हुए  चटपटे  आलू के गुटके, एक गिलास गाढ़ा मलाई दार  दूध, मुट्ठी भर काजू और बादाम भून कर खाए  |   नाश्ते के उपरान्त एक गिलास सेब का अथवा अन्य मौसमी फल का जूस अवश्य पिया,  ताकि व्रत करने से कमजोरी महसूस ना हो | कभी - कभार जूस पीने का मन नहीं किया तो कोल्ड - ड्रिंक   से काम चला लिया  | कोल्ड - ड्रिंक व्रत में पी सकने योग्य पेय पदार्थ है, ऐसा मुझे पड़ोस की कई महिलाओं ने बताया | व्रत में कई लोगों को मैंने चोकलेट और टॉफी भी खाते देखा है, अतः बीच - बीच में इन्हें भी मुँह में धर लिया |
 
दिन का खाना ..........
 
चूँकि अन्न तो खाना नहीं था , इसीलिये साबूदाने, आलू और मूंगफली की खिचड़ी तल ली | भूखे पेट ज्यादा पकवान पकाने की ताकत शरीर में नहीं थी,  अतः एक कटोरी दही  से ही काम चला लिया | साथ में सिंघाड़े के आटे का हलवा देसी घी में बना लिया | शरीर में खनिज लवणों की कमी ना होने पाए इसके लिए सेब, केला, पपीता, अनार, अमरुद, नाशपाती इत्यादे फलों को लेकर मिक्स कर के  इन मिक्स फलों के ऊपर क्रीम डाल कर इनका सेवन कर लिया | इस हलके - फुल्के भोजन के उपरान्त मौसमी का जूस पीया ताकि शरीर में थोड़ी बहुत ताकत बनी रहे |
 
शाम का नाश्ता ........
 
व्रत किया है सो शाम का नाश्ता भी हल्का ही रखना था | बादाम, काजू, किशमिश, छुआरे, रामदाने, अखरोट  इत्यादि को देसी घी में भून कर खा लिया | इन सब को पीस कर लड्डू भी बना रखे थे, जब जैसा  मन किया वैसा खा लिया | एक गिलास शुद्ध दूध की कॉफ़ी के इनको साथ निगल लिया |  साथ में एक पाव बर्फी और एक पाव  रबड़ी  भी उदरस्थ कर ली | अंत में खोया और पिस्ता डली हुई  लस्सी, जिसे  व्रत के किये स्पेशल दूकान से मंगाया था,  का पान किया | दिन भर में चार पाँच बार दूध पीकर जी ख़राब हो जाने के कारण  पेट भरने के लिए मजबूरन लस्सी का सहारा  लेना पड़ा  |
 
रात का खाना ........
 
यूँ तो खाना ही अपने आप में एक समस्या है उस पर रात का खाना क्या होगा, यह मेरे लिए गंभीर चिंतन का विषय  है | बड़े - बूढ़े कहते हैं कि रात को भूखे पेट कभी नहीं सोना चाहिए | बड़े - बुजुर्गों की हांलांकि मैंने कभी कोई बात नहीं मानी, लेकिन इस बात पर  मैंने उनका साथ दिया  | खाना हल्का भी रखना है और पेट भी भरना  है, सो बहुत दिमाग लगाना पड़ा, कई बार माथा - पच्ची करनी पड़ी, सहेलियों से फोन पर पूछा , तब जाकर समुद्र मंथन की तरह अमृत निकल कर बाहर आया | रात में उबले हुए आलुओं को कोटू में मिला लिया | यहाँ पर मैंने एक अक्लमंदी काम यह किया कि  सुबह से ही दो किलो आलू उबाल कर  रख लिए  ताकि व्रत के दौरान बार - बार काम ना करना पड़े |  खाली पेट काम करने में काफ़ी दिक्कत हो सकती है | इन उबले आलुओं की शुद्ध घी में थोड़ी पकौड़ियाँ, और थोड़ी कचौड़ी तलीं  | इसके अलावा बाज़ार में फलाहारी चावल भी उपलब्ध हैं,  सुबह से खाली पेट को भरने के लिए कुछ ना कुछ ठोस आहार  तो चाहिए ही  अतः उनका पुलाव बनाना  मैंने अति आवश्यक समझा  | घर वालों के विशेष आग्रह पर  मीठे में  थोड़ी सी  ड्राई फ्रूट की खीर बना ली थी |
 
कई बार रात का खाना  बनाने  की शरीर में ज़रा भी शक्ति नहीं बचने होने की  स्थिति में  होटल में जाकर फलाहारी भोजन किया  | आजकल कई होटल ग्राहकों की मांग को देखते हुए फलाहारी थाली परोसने लगे हैं | अखबार के साथ आने वाले सभी विज्ञापन मैंने जमा कर रखे हैं | जिस होटल के भोजन में सबसे ज्यादा विविधता लगी  , उसी होटल में जाकर अपना उपवास तोड़ा  |
 
इसके अतिरिक्त मूंगफली भून कर, उसमे शक्कर मिला कर रख ली थी  | इसे घर में ऐसे  दो - तीन  स्थानों  पर रख दिया था  जहाँ बार - बार आना पड़ता है और हर बार आने - जाने में  मुट्ठी भर दाने लेकर टूंगती रही  | इससे भूखे रहने के दौरान बहुत ऊर्जा मिली |
 
व्रत करने में खाली पेट रहने के अलावा बड़ी समस्या यह आई  कि व्रत वाला खाना देखकर घर के और सदस्य लार टपकाने लगे || तरह - तरह के ताने भी सुनने  पड़े  |  लेकिन मैं अपने व्रत करने के निश्चय से हटी नहीं, अपितु  डट कर उनका सामना किया | घर के बच्चे मेरा व्रत का रूखा - सूखा  खाना देखकर मचल गए  | बच्चों को प्यार से समझाना पड़ा  कि व्रत करना कोई बच्चों का खेल नहीं है, और यह उनके खाने - पीने की उम्र है, व्रत करने की नहीं |  बुजुर्गों को डांट कर समझाना पड़ा कि इस उम्र उनका में उपवास करना समझदारी नहीं है | पति से प्रेमपूर्वक कहना पड़ा  है कि '' अरे ! आप क्यूँ व्रत करते हैं ?  आपको दफ्तर में इतना काम करना पड़ता है | हमारा  क्या है हम तो घर में खाली बैठे हैं, उपवास कर भी लिया तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा |'' 
 
आज नौ दिन के व्रत करने के उपरान्त समझ में आया कि व्रत - उपवास करना कोई आसान काम नहीं है | हमारे बचपन में घर के बड़े बूढ़े हम बच्चों को क्यूँ व्रत करने नहीं देते थे ? इतने दिन खाना ना खाने के कारण  शरीर में कमजोरी और थकान महसूस हो रही है | उम्मीद करती हूँ कि  इन नवरात्रों में पाँच - छः किलो वजन अवश्य कम हो गया होगा , साथ ही साथ मेरा व्रत करने का असल  मकसद भी पूर्ण हो गया होगा |

शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

शोएब ने बिलकुल सच कहा .....

सचिन तेंदुलकर,
मैदान में कंपकंपा जाते हैं |
उसकी गेंद  को आती देख
लड़खड़ा जाते हैं |
सच कहता है शोएब,
किसको नहीं पता
कि
नंगे से तो
भगवान् तक डर जाते हैं |
 
 

शनिवार, 24 सितंबर 2011

कुछ लो डाईट रेसेपीस के साथ चुनाव आयोग को ठेंगा दिखाएँ .....

बत्तीस और छब्बीस रुपयों में घर चलाना सीखें .....कुछ रेसेपीस ...
 
साथियों हाय तौबा मचने से कुछ नहीं होगा | सरकार हमारा मान रखती है तो हमें भी हमें सरकारी आंकड़ों  का मान रखना होगा | हमें अब ऐसी रेसीपियाँ सीखनी होंगी, जिनकी सहायता से हम सरकार द्वारा निर्धारित रुपयों में  पेट भरने में सफल  हो जाएं | सदियों से फिजूलखर्ची की जो आदत हमारी नस - नस में समाई हुई  है, उसे अब दूर करने का समय आ गया है | 
 
सबसे पहले ईंधन का जुगाड़ करें | जब - जब आपका दिल योजना आयोग के आंकड़ों को देखकर,  संसद  की कैंटीन  में  खाने के दाम पढ़कर, या आए  दिन उजागर होते घोटालों को  सुनकर  सुलगे, उस सुलगे हुए दिल को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करें | ज्यादा सुलगे तो इनके कोयले बनाकर भविष्य के लिए रख लें | भविष्य में इन कोयलों की बहुत ज़रुरत पड़ने वाली है |
 
बाज़ार जाने पर नित्य बढ़ते हुए खाद्य पदार्थों के दाम सुनकर जब चेहरा पीला पड़ जाता है, उस पीले रंग को हल्दी के रूप में उपयोग में लाएं | ऊंट के मुँह से जीरा लें | अब तक  मूंग  की दाल भी दल गई होगी | दाल को चूल्हे में डाल कर दिल की तरह धीरे - धीरे सुलगने  दें |दाल का इंतजाम ना हो पाए तो कढ़ी से भी काम चला सकते हैं, बशर्ते बासी कढ़ी खाने से परहेज़ ना हो तो |इंतज़ार करें,  भाजपा के कार्यालय में वर्षों से पड़ी हुई बासी कढ़ी में जल्दी ही उबाल आने वाला है |
 
खाना कैसा भी हो नमक के बिना कोई स्वाद नहीं मालूम पड़ता है | नमक बनाने के लिए गांधीजी की विधि प्रयोग में ला सकते हैं | गांधीजी की  रेसिपी इन्टनेट से सर्च करके से डाऊनलोड कर लें | ध्यान रहे इन्टरनेट से सर्च करने पर कभी - कभी एक फर्जी साईट भी खुल जाती है जिसमे गांधीजी समस्त देशवासियों से एक समय खाना खाने का अनुरोध करते हैं |  इसके अलावा पुरुष अपने पसीने से और महिलाएं अपने आंसुओं से नमक बना सकती हैं | कई लोग इश्क से भी नमक का निर्माण कर लेते हैं, जो कि शादीशुदा और घर - गृहस्थी वालों के लिए बहुत मुश्किल काम है |
 
खाने में रायता भी हो तो स्वाद दोगुना हो जाता है | योजना आयोग के आंकड़ों के साथ माथापच्ची करके दिमाग का दही बन जाए तो उसमें  राई के पर्वत से राई ले कर मिक्स कर लें | इसमें आप सौ बीमारों से एक अनार जो आजकल सुप्रीम कोर्ट के पास लगे हुए ठेले में मिलता है,  को छील कर मिला लें |
 
चटनी से खाने का स्वाद बढ़ जाता है, और भूख भी खूब लगती है | इधर वर्तमान सरकार से सभी का जी खट्टा हो ही गया है, तो उस खटाई  से चटनी बना लें | अपने - अपने घावों से नमक मिर्च निकाल कर  स्वादानुसार इस चटनी में मिला सकते हैं |
 
छठे वेतनमान के आने से जिन लोगों को लगा था कि अब पाँचों उंगलियाँ घी में और सिर कढाई में है, वे लोग अपनी उँगलियाँ कढाई से निकाल लें और दाल छोंकने के लिए उँगलियों में चिपके घी को  आग में डाल लें | जिन्होंने वेतनमान का नाम तक नहीं सुना और  जिस कोल्हू में वे दिन रात जुते हुए हैं, ऐसे लोग तेल की धार को देखने में ही व्यस्त ना रहें बल्कि थोडा सा  तेल ले कर दाल में छोंक लगा लें  |
 
कंगाली  में गीले हो चुके आटे को थोथे चनों के साथ  पीस कर मिला दें | आटा काम आ जाएगा | ये थोथे चने  हाल ही में  संसद के विशेष सत्र के दौरान जोर - जोर से बजते सुनाई दिए थे  | वैसे चनों की कोई अब कोई कमी नहीं रही है | अभी तक जी भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में भाग लेकर आपको मीडिया ने चने की झाड़ पर चढ़ाया था, अब उससे उतरने का समय आ गया है, उतरते समय उसी झाड़ से थोड़े चने तोड़ लाइयेगा |
 
वैसे गीला आटा भी उपलब्ध ना हो तो बता दूँ कि रोटी घास की भी बनती थी | इतिहास बताता है कि हमारे देश के कई वीरों ने घास की रोटियाँ खाकर बड़े - बड़े युद्ध लड़े थे | हमारा दुर्भाग्य है कि उसकी रेसिपी इन्टरनेट पर उपलब्ध नहीं है |  
 
अहलुवालिया जी बड़े किसान हैं, उनके  धान के खेतों में बाईस पसेरी धान की  किस्म लगी है, वहाँ से धान लेकर,  उनसे  चावल निकाल कर खयाली पुलाव या बीरबल की प्रसिद्द  खिचड़ी  बना लें | इसमें बंदरों से अदरक मांग कर अवश्य डालें | इससे अपच, अजीर्ण और गैस नहीं होगी, जो कि कभी - कभार  पेट भरकर खाना मिलने के पश्चात  आम आदमी को हो जाया करती  है |   
 
ऊँची दुकानों से फीके पकवान लेकर पसीने से बनाए हुए नमक के साथ खा लें | ये पकवान योजना आयोग के भवन और सात रेसकोर्स रोड के पास इफरात से मिलते हैं |
 
 चाय बनाने के लिए पानी में ज़ुबान से  बची खुची शक्कर निकालकर घोलें , जो कि बहुत मुश्किल काम होगा | महंगाई  के चलते ज़ुबान से शक्कर गायब हो गई है, और शरीर में घुल गई है  |  ज़ुबान कडवी हो गई है, शरीर मीठा | हांलाकि दूध में से आप लोगों को  मक्खियाँ समझकर  फेंक दिया गया है, तो  भी यह दूध मक्खी फेंकने वालों के  किसी काम का नहीं रहा | इसी दूध को चाय बनाने के काम में लाया जा सकता है | 
 
मांसाहारी लोग  निराश ना हों | वे चील के घोंसले से मांस ढूँढने का प्रयास करें | समय की मांग के चलते  चीलों ने अपने पुराने ठिकाने  बदल लिए हैं | आजकल वे तिहाड़ जेल की खिडकियों में अपने घोंसले बनाने लगी हैं | बकरा  खाने  वालों के लिए भी खुशखबरी है क्यूंकि वक्त की नजाकत को देखते हुए बकरे  की अम्मा ने भी खैर मनाना छोड़ दिया है |
 
खाने के बाद मीठे के लिए रेवड़ियां भी हैं | ये अक्सर दस जनपथ के पास बंटती है | ध्यान रहे रेवड़ियां ज्यादा खाने से रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे कम करने के लिए पूरे भारत वर्ष में एक ही डॉक्टर है जिसे रालेगन सिद्धी से बुलाना पड़ता है, इनकी  टीम बहुत बड़ी और नखरेवाली  है | उनकी फीज़  चुकाने में बड़े - बड़ों के पसीने छूट जाया करते हैं | इनकी विशेषज्ञता को देखते हुए आजकल पड़ोसी  देशों में भी इनकी बहुत मांग है |
 

आइये योजना आयोग तो ठेंगा दिखाएं ..... छब्बीस या बत्तीस रुपयों में घर चलाएं....

बत्तीस और छब्बीस रुपयों में घर चलाना सीखें .....कुछ रेसेपीस ...
 
साथियों हाय तौबा मचने से कुछ नहीं होगा | सरकार हमारा मान रखती है तो हमें भी हमें सरकारी आंकड़ों  का मान रखना होगा | हमें अब ऐसी रेसीपियाँ सीखनी होंगी, जिनकी सहायता से हम सरकार द्वारा निर्धारित रुपयों में  पेट भरने में सफल  हो जाएं | सदियों से फिजूलखर्ची की जो आदत हमारी नस - नस में समाई हुई  है, उसे अब दूर करने का समय आ गया है | 
 
सबसे पहले ईंधन का जुगाड़ करें | जब - जब आपका दिल योजना आयोग के आंकड़ों को देखकर,  संसद  की कैंटीन  में  खाने के दाम पढ़कर, या आए  दिन उजागर होते घोटालों को  सुनकर  सुलगे, उस सुलगे हुए दिल को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करें | ज्यादा सुलगे तो इनके कोयले बनाकर भविष्य के लिए रख लें | भविष्य में इन कोयलों की बहुत ज़रुरत पड़ने वाली है |
 
बाज़ार जाने पर नित्य बढ़ते हुए खाद्य पदार्थों के दाम सुनकर जब चेहरा पीला पड़ जाता है, उस पीले रंग को हल्दी के रूप में उपयोग में लाएं | ऊंट के मुँह से जीरा लें | अब तक  मूंग  की दाल भी दल गई होगी | दाल को चूल्हे में डाल कर दिल की तरह धीरे - धीरे सुलगने  दें |दाल का इंतजाम ना हो पाए तो कढ़ी से भी काम चला सकते हैं, बशर्ते बासी कढ़ी खाने से परहेज़ ना हो तो |इंतज़ार करें,  भाजपा के कार्यालय में वर्षों से पड़ी हुई बासी कढ़ी में जल्दी ही उबाल आने वाला है |
 
खाना कैसा भी हो नमक के बिना कोई स्वाद नहीं मालूम पड़ता है | नमक बनाने के लिए गांधीजी की विधि प्रयोग में ला सकते हैं | गांधीजी की  रेसिपी इन्टनेट से सर्च करके से डाऊनलोड कर लें | ध्यान रहे इन्टरनेट से सर्च करने पर कभी - कभी एक फर्जी साईट भी खुल जाती है जिसमे गांधीजी समस्त देशवासियों से एक समय खाना खाने का अनुरोध करते हैं |  इसके अलावा पुरुष अपने पसीने से और महिलाएं अपने आंसुओं से नमक बना सकती हैं | कई लोग इश्क से भी नमक का निर्माण कर लेते हैं, जो कि शादीशुदा और घर - गृहस्थी वालों के लिए बहुत मुश्किल काम है |
 
खाने में रायता भी हो तो स्वाद दोगुना हो जाता है | योजना आयोग के आंकड़ों के साथ माथापच्ची करके दिमाग का दही बन जाए तो उसमें  राई के पर्वत से राई ले कर मिक्स कर लें | इसमें आप सौ बीमारों से एक अनार जो आजकल सुप्रीम कोर्ट के पास लगे हुए ठेले में मिलता है,  को छील कर मिला लें |
 
चटनी से खाने का स्वाद बढ़ जाता है, और भूख भी खूब लगती है | इधर वर्तमान सरकार से सभी का जी खट्टा हो ही गया है, तो उस खटाई  से चटनी बना लें | अपने - अपने घावों से नमक मिर्च निकाल कर  स्वादानुसार इस चटनी में मिला सकते हैं |
 
छठे वेतनमान के आने से जिन लोगों को लगा था कि अब पाँचों उंगलियाँ घी में और सिर कढाई में है, वे लोग अपनी उँगलियाँ कढाई से निकाल लें और दाल छोंकने के लिए उँगलियों में चिपके घी को  आग में डाल लें | जिन्होंने वेतनमान का नाम तक नहीं सुना और  जिस कोल्हू में वे दिन रात जुते हुए हैं, ऐसे लोग तेल की धार को देखने में ही व्यस्त ना रहें बल्कि थोडा सा  तेल ले कर दाल में छोंक लगा लें  |
 
कंगाली  में गीले हो चुके आटे को थोथे चनों के साथ  पीस कर मिला दें | आटा काम आ जाएगा | ये थोथे चने  हाल ही में  संसद के विशेष सत्र के दौरान जोर - जोर से बजते सुनाई दिए थे  | वैसे चनों की कोई अब कोई कमी नहीं रही है | अभी तक जी भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में भाग लेकर आपको मीडिया ने चने की झाड़ पर चढ़ाया था, अब उससे उतरने का समय आ गया है, उतरते समय उसी झाड़ से थोड़े चने तोड़ लाइयेगा |
 
वैसे गीला आटा भी उपलब्ध ना हो तो बता दूँ कि रोटी घास की भी बनती थी | इतिहास बताता है कि हमारे देश के कई वीरों ने घास की रोटियाँ खाकर बड़े - बड़े युद्ध लड़े थे | हमारा दुर्भाग्य है कि उसकी रेसिपी इन्टरनेट पर उपलब्ध नहीं है |  
 
अहलुवालिया जी बड़े किसान हैं, उनके  धान के खेतों में बाईस पसेरी धान की  किस्म लगी है, वहाँ से धान लेकर,  उनसे  चावल निकाल कर खयाली पुलाव या बीरबल की प्रसिद्द  खिचड़ी  बना लें | इसमें बंदरों से अदरक मांग कर अवश्य डालें | इससे अपच, अजीर्ण और गैस नहीं होगी, जो कि कभी - कभार  पेट भरकर खाना मिलने के पश्चात  आम आदमी को हो जाया करती  है |   
 
ऊँची दुकानों से फीके पकवान लेकर पसीने से बनाए हुए नमक के साथ खा लें | ये पकवान योजना आयोग के भवन और सात रेसकोर्स रोड के पास इफरात से मिलते हैं |
 
 चाय बनाने के लिए पानी में ज़ुबान से  बची खुची शक्कर निकालकर घोलें , जो कि बहुत मुश्किल काम होगा | महंगाई  के चलते ज़ुबान से शक्कर गायब हो गई है, और शरीर में घुल गई है  |  ज़ुबान कडवी हो गई है, शरीर मीठा | हांलाकि दूध में से आप लोगों को  मक्खियाँ समझकर  फेंक दिया गया है, तो  भी यह दूध मक्खी फेंकने वालों के  किसी काम का नहीं रहा | इसी दूध को चाय बनाने के काम में लाया जा सकता है | 
 
मांसाहारी लोग  निराश ना हों | वे चील के घोंसले से मांस ढूँढने का प्रयास करें | समय की मांग के चलते  चीलों ने अपने पुराने ठिकाने  बदल लिए हैं | आजकल वे तिहाड़ जेल की खिडकियों में अपने घोंसले बनाने लगी हैं | बकरा  खाने  वालों के लिए भी खुशखबरी है क्यूंकि वक्त की नजाकत को देखते हुए बकरे  की अम्मा ने भी खैर मनाना छोड़ दिया है |
 
खाने के बाद मीठे के लिए रेवड़ियां भी हैं | ये अक्सर दस जनपथ के पास बंटती है | ध्यान रहे रेवड़ियां ज्यादा खाने से रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे कम करने के लिए पूरे भारत वर्ष में एक ही डॉक्टर है जिसे रालेगन सिद्धी से बुलाना पड़ता है, इनकी  टीम बहुत बड़ी और नखरेवाली  है | उनकी फीज़  चुकाने में बड़े - बड़ों के पसीने छूट जाया करते हैं | इनकी विशेषज्ञता को देखते हुए आजकल पड़ोसी  देशों में भी इनकी बहुत मांग है |
 
 

बुधवार, 21 सितंबर 2011

कौन - कौन चल रहा है मेरे साथ यात्रा पर

 
चंद दिनों में ही हाय !
क्या से क्या हो गए मेरे हाल
सोचती हूँ मैं भी अब
उपवासों को बना लूँ अपनी ढाल |
 
जब जाऊं रसोईघर में
दिल घबरा जाता है
खाली - खाले डिब्बे देख
कलेजा मुँह को आता है
बिना किसी त्यौहार के
अक्सर  व्रत हो जाता है 
कभी दाल में डलता था पानी  
अब पानी में डालूं डाल
सोचती हूँ मैं भी अब मोदी जी
उपवासों को बना लूँ अपनी ढाल
 
चंद दिनों में ही हाय !
क्या से क्या हो गए मेरे हाल
 
घर से जब बाहर निकलूं
बढ़ा किराया पाती हूँ
टेम्पो, ऑटो और रिक्शे पर
यूँ ही झुंझला जाती हूँ
सेहत बड़ी नियामत सोचकर
पैदल ही चलती जाती हूँ
कभी हर कदम पर चढ़ती थी रिक्शा
अब हर वाहन से तेज है मेरी चाल |
सोच रही हूँ मैं भी अब अन्ना जी !
पदयात्रा को बना लूँ अपनी ढाल |
 
चंद दिनों में ही हाय !
क्या से क्या हो गए मेरे हाल |
 
एक तीर से कई निशाने
साधुंगी मैं इसी बहाने
नगरी - नगरी द्वारे - द्वारे
घर से निकल पडूं जल्दी से
जनता में एक अलख जगाने
घर - गृहस्थी के विकट हैं झंझट
नून - तेल - लकड़ी के जाल
रो - पड़े हैं अच्छे - खासे
महंगाई ने किया कंगाल |
सोच लिया है मैंने भी आडवाणी जी !
रथ - यात्राओं में बिता दूंगी आने वाले साल |
 
चंद दिनों में ही हाय !
क्या से क्या हो गए मेरे हाल
सोचती हूँ मैं भी अब
उपवासों को बना लूँ अपनी ढाल |
 

सोमवार, 19 सितंबर 2011

ताज़ा समाचार ...है इस प्रकार ....

आज का ताज़ा समाचार .....
 
देश के कई इलाकों में
भूकंप आ गया |
जगह - जगह
दरारें पड़ गईं |
ऊँची इमारतें हिल गईं |
मज़बूत ज़मीनें
खिसक गईं |
मोदी ने आज
टोपी नहीं पहनी |

रविवार, 18 सितंबर 2011

सर्वाधिकार सुरक्षित हैं .....

उनके अनुसार
संसद एक सर्वोच्च
संस्था होती है |
उसकी एक गरिमा होती है | 
और एक मर्यादा भी होती है |
इस पर उन्हें बहुत गर्व है |
और
इसे भंग करने के सारे अधिकार
उनके पास रिज़र्व हैं |
 

शनिवार, 27 अगस्त 2011

ड्राफ्ट के इस क्राफ्ट में एक ड्राफ्ट यह भी ...........

ड्राफ्ट के इस क्राफ्ट में एक ड्राफ्ट यह भी  ...........

कौन कौन लोकपाल विधेयक के दायरे से बाहर होने चाहिए ................

पी. एम्., सी. एम्., डी एम् 
सरकारी कर्मचारी, 
बड़े अधिकारी, 
संसद बेचारी |

मंत्रियों के रिश्तेदार ,
नेताओं के नातेदार ,
सात पुश्त तक 
नेहरु - गाँधी परिवार |

वतन के गद्दार, 
शराब के ठेकेदार, 
स्विस बेंकों के खातेदार | 

दबंग, बाहुबली, 
नोकतंत्र के रखवाले, 
नोट के बदले वोट
वोट के बदले नोट वाले | 
 
रिश्वतखोर, सूदखोर 
करचोर, जमाखोर |

धोखेबाज, बेईमान,  
सिर्फ़ नाम के इंसान |

इनको लोकपाल से दूर करो 
देश को  मज़बूत करो  |

लोकपाल के दायरे में कौन कौन आने चाहिए ................

दिहाड़ी मजदूर, 
दो रोटी के लिए मजबूर | 

खेतिहर किसान, 
आम इंसान, 
सेना के जवान |

रिक्शे वाले, ठेलेवाले ,
सुबह से शाम खटने वाले |

स्वतंत्रता सेनानी,
अनशन करने वाले,
सत्य अहिंसा और प्रेम 
पर चलने वाले  | 

मतदाता , करदाता, 
भारत  भाग्यविधाता |

ईमानदार, ज़िम्मेदार ,
सिद्धांतवादी, सच्चे गांधीवादी |

साधु, योगी, 
दैनिक वेतनभोगी, 
पेंशन वाले , ज़मीन पर पलने वाले 
उसूलों पर चलने वाले |

कवि, लेखक ,
अन्ना के समर्थक   
समाज के सभी सेवक |

इनको लोकपाल में लाओ 
लोकतंत्र मज़बूत बनाओ | 


गुरुवार, 25 अगस्त 2011

जो अनशन पर बैठा है वो बिलकुल स्वस्थ है, फिर ये कौन हैं जिनकी हालत पस्त है ?

 
इनकी ...........................
 
आए दिन ज़ुबान फिसल रही है
अक्ल काम नहीं कर रही है |
 
ब्लड प्रेशर हाई है
चेहरे पर उड़ी हवाई है |
 
सीने में जलन है
आवाज़ में कम्पन है |
 
पसीना पोछ रहे हैं  
''कल क्या होगा'' सोच रहे हैं |
 
सांस में सांस अटकी है
गले में फांस अटकी है |
 
चेहरा सिकुड़ा है
शरीर निचुड़ा है |
 
हौसले पस्त हैं
चाल सुस्त है |
 
पैर लड़खड़ा रहे हैं
भीड़ देखकर हड़बड़ा रहे हैं |
 
उम्मीदें  बुझी - बुझी हैं
कमर झुकी - झुकी है |
 
रीढ़ टूट गई है
नींद रूठ गई है |
 
आँखों से दिखाई नहीं देता
कानों से सुनाई नहीं देता |
 
सारे रंग उड़े हुए हैं
दस दिनों में बूढ़े हुए हैं |
 
जो अनशन पर बैठा है वो बिलकुल स्वस्थ  है
फिर ये कौन हैं जिनकी हालत पस्त है ?
 
 
 
 
 
 
 
 

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |

नहीं रहा अब कोई चारा, 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |
 
सदा घूस को खाने वाला 
सात पुश्त भर जाने वाला  
चोरों को हरषाने वाला
बिल होवेगा पास हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |
 
जन - गण - मन के भीषण रण में
वो गिरगिट जैसे बदलें क्षण - क्षण में
काँपे ''जन'' बिल देखकर मन में
अब जावेगा राज सारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा
 
इस बिल के पीछे निर्भय
वो खड़े हुए थे करके निश्चय
होगी  दलीय एकता की जय
फूले - फले बस लाल [ सरकारी लोकपाल ] हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा
 
आओ प्यारी ''नीरो'' आओ 
रोम - रोम से इटली गाओ  
एक साथ सब जोर लगाओ
भ्रष्टाचार हो ध्येय हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा
 
बिल यह पेश ना होने पाए
चाहे जान भले ही जाए [ अन्ना की ]
बार - बार कमियाँ गिनवाएं
तब होवे प्लान पूर्ण हमारा |
 
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा,
नहीं रहा अब कोई चारा |
अन्ना भूखा रहे तुम्हारा |

''थैंक यू वैरी मच भ्रष्टाचार''

 
 ''थैंक  यू वैरी मच भ्रष्टाचार'' |
 
आम हो गया ख़ास
ख़ास हो गया आम
अन्ना की एक आवाज़ पर
वक्त  का पहिया जाम |
 
देश भक्ति में सब रंगे
झगड़ा, फ़साद ना दंगे  
जहाँ तक पहुचे नज़र
बस तिरंगे ही तिरंगे |
 
हाथ बांधे, खड़े हैं बेबस
बारिश, धूप और उमस 
सिर चढ़ कर  बोल रहा
हौसला, हिम्मत और साहस  |
 
भारत माँ के डटे हैं  लाल
अन्ना की बन रहे हैं  ढाल 
थामे हुए हैं कमान को
बेदी, भूषण, और केजरीवाल |
 
जब उमड़ के आया  जन सैलाब
तब मिल गया मुंहतोड़ जवाब
हर बहाना हुआ बेअसर,
अँधेरे को चीर कर
आएगी अब नई सहर |
 
टूटेगा, मनमोहन का मौन 
सिब्बल का बल 
रोकेगा, भ्रष्टाचार के रथ को 
सवा करोड़  अन्नाओं का दल  | 
 
जब, मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना 
ये भी अन्ना, वो भी अन्ना 
तब,  निश्चित है साथियों 
जन लोकपाल का बनना  |
 
ये हौसला, जूनून, ये जज़्बा
भर गया  गली, कूचा, और कस्बा 
भ्रष्टाचार मुक्त वतन की चाहत 
जिन आँखों पर बंधी है पट्टी
उनके लिए विदेशी ताकत |
 
ओ ! जादू की छड़ी ढूँढने वालों !
गद्दी  के लालों !
घोटालों के मतवालों !
बेईमानों के रखवालों !
 
एक भूखे पेट के साथ
यूँ ही नहीं हैं लाखों  हाथ
जब - जब गुज़रा सिर से पानी
राजा ने भी खाई मात | 
 
यूँ ही भरा रहे दिलों में प्यार
हमारी एकता रहे बरकरार
इसीलिये  सब मिलकर गाओ   
''थैंक  यू वैरी मच भ्रष्टाचार''

गुरुवार, 9 जून 2011

नव्या को बहिन मिली ...

चार जून को  नव्या की बहिन का इस दुनिया में  आगमन हुआ है  |