बुधवार, 19 अगस्त 2009

शाहरुख़ का यह अपमान याद रखेगा हिन्दुस्तान

साथियों अब समय आ गया है कि दुनिया वाले अपने संविधान और उसकी धाराओं में परिवर्तन कर लें, क्यूंकि भारत कृषि प्रधान देश से अब  सेलिब्रिटी प्रधान देश बन चुका है , और हमारे देश की अस्सी प्रतिशत जनसँख्या किसी ना किसी सेलिब्रिटी की पसंद  और नापसंद पर निर्भर करती है , जब ये हमसे कहते हैं कि फलां ब्रांड के साबुन से मुँह धोना चाहिए, फलाना तेल लगाना चाहिए,फलां ब्रांड की वस्तुएं खानी चाहिए, फलाना ब्रांड के पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए  ,तभी हम डिसीजन ले पाते हैं ,वर्ना आम आदमी तो वैसे ही बड़ी बड़ी दुकानों या चमचमाते मॉल के सामने मुँह फाड़े, हक्का बक्का सा खडा रह जाता है कि किस कम्पनी पर भरोसा करुँ और  किस पर नहीं , तभी वह आँख बंद करके अपने आराध्य सेलिब्रिटी को याद करता है और उस सेलिब्रिटी की मनमोहिनी मुस्कान जिस प्रोडक्ट  की और इशारा करती है ,उसी को वह अपने अपने सिर माथे पर शिरोधार्य कर लेता है.
 
माननीय शाहरुख़ खान से इस तरह पूछताछ करना , इमरान हाशमी को मकान देने से पहले पूछताछ करना ....ये कहाँ का इन्साफ है ?हम कब तक अपने सलिब्रितीस की यूँ बेइज्जती बर्दाश्त करते रहेंगे ? ये हमारे नायक हैं ,ये हर तरह की पूछताछ से ऊपर हैं  ये तो फिल्में साइन करने से पहले रुपयों के अलावा किसी के बारे में यथा .....कहानी ,डाईरेक्टर , प्लाट तक की पूछताछ नहीं करते हैं ...
 
और शाहरूख ,स्वाइन फ्लू के चलते अपनी जान की परवाह ना करते हुए इंडिपेंडेंस डे को सैलीब्रेट करने  सात समुन्दर पार गया ,चाहता तो भारत में रहकर भी स्वतंत्रता दिवस मना सकता था ,लेकिन नहीं,एक सेलिब्रिटी को सेलेब्रेशन भी  विदेशी धरती चाहिए तभी दिल में देशभक्ति की लहरें दौड़ पाती हैं
 
शाहरूख हमारे यूथ के लिए आइकन है , उसकी अदाएं ,उसका हेयर स्टाइल , उसके सिक्स पेक एब्स ,सब कुछ हमारे लिए अनुकरणीय हैं ,वह कौन कौन से ब्रांड की वस्तुएं इस्तेमाल करता है ,सब हमें बाय हार्ट याद रहता है ,हम एकबारगी अपनी और अपने माँ बाप जन्मतिथि भूल सकते हैं लेकिन किंग खान और उसके बीबी बच्चों की जन्मतिथियाँ नहीं भूलते,  उसके  जन्मदिन का केक ज़रूर काटते और बांटते  हैं .
 
उसके क... क... क... क...किरण कहने के अंदाज़ को कॉपी करके कई नौजवानों ने किरण नामक लड़कियों को पटाने में महारथ हासिल करी , उसके हकलाने को भी स्टाइल का दर्जा मिल गया , कई स्पीच थेरे पिस्टों को अपने क्लिनिक बंद करने पड़े , जब उसने हॉकी उठाकर 'चक दे  इंडिया' कहा तो भारत ने वास्तव में विश्व कप जीत लिया ,वह स्वदेस में जब गाता है ,,ये स्वदेस है मेरा , तो कितने ही वैज्ञानिक नासा छोड़कर भारत आ जाते हैं ,उसकी दिलवाले दुल्हनिया देखकर लड़कों ने मंडप से कन्याएं उठानी शुरू कर दी थीं , ऐसे किंग खान,बल्कि खानों के खान के साथ पूछताछ क्या जायज़ है ?
 
मैं पूछना चाहती हूँ दुनिया वालों से कि क्या हमने कभी किसी से पूछताछ करी है ? हमारे यहाँ तो अतिथियों को देव कहा जाता है , हमारे देश में कहाँ - कहाँ से लोग आए , हमने सबके लिए अपने दरवाजे खुले रखे ,पाकिस्तान से घुसपैठियों को आने दिया ,मुंबई में हमला करने वाले कई दिनों तक विस्फोटक लाते रहे ,मजाल है जो हमने पूछताछ की जहमत उठाई हो ,बांग्लादेशियों के लिए तो भारत आना मायके आना जैसा है , नेपाली , भोटिया भाई तो दाल में नमक की तरह मिक्स हो गए हैं , फिर हमारे ही देश के नागरिकों के साथ यह अन्याय  क्यूँ ?हमारे यहाँ तो कोई भी आकर अपना राशन कार्ड बना सकता है ,स्थाई निवास प्रमाण पत्र हासिल कर सकता है ,ज़मीन जायदाद खरीद सकता है , व्यापार कर सकता  है , हमने हर तरह की सुविधा अपने विदेशी भाइयों को प्रदान कर रखी  हैं.
 
हमारे यहाँ तो आए दिन हमले होते रहते हैं , फिर भी हम किसी से पूछताछ की हिम्मत नहीं जुटा पाते , हर हमले के बाद हमारे नेतागण कहते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा बनाया जायेगा , इस तरह वे अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर लेते हैं ,ताकि उन तक पहुँचने की कोई भूल से भी ना सोचे .
 
अगर भूले भटके कोई किस्मत का मारा पूछताछ करने की हिम्मत जुटा भी लेता है तो हमारे द्वारा दो - चार नेताओं का नाम भर ले लेने से वह थर थर काँपने लग जाता है , यहाँ तक की नौबत तो बहुत बाद में आती है बल्कि नेताओं के चमचों या चमचों के भी चमचों का नाम ले लेने से वह पैरों पर गिर कर माफी मांगने लगता है .....और जांच करने वाले को या तो सस्पेंड, या कहीं दूर ट्रांसफर कर दिया जाता है  
 
तो आइये हम सब का ये दायित्व है कि  हम सब लोग पेप्सी पी पी कर अमेरिका को उसके इस अक्षम्य अपराध के लिए कोसें ..