मंगलवार, 14 जुलाई 2009

सिर्फ और सिर्फ टिप्पणियों की बदौलत

सिर्फ और सिर्फ टिप्पणियों की बदौलत
पूरी हुई सौ पोस्ट की यह दौलत ...
ब्लॉग जगत के मेरे साथियों आज अपनी यह सौवीं पोस्ट मैं अगर लिखने के काबिल हुई  हूँ ...तो वह सिर्फ आप लोगों की टिप्पणियों के कारण ....पिछले सात आठ सालों के दौरान ,जब जिन्दगी अपने भयावह दौर से गुज़र रही थी तब  पेन को छूते हुए भी डर लगता था ....लगता था कि कभी भी कुछ नहीं लिख पाउंगी ..शब्दों से नाता लगभग छूट ही गया था ...अपनी पिछली रचनाओं को देखकर विश्वास ही नहीं होता था कि ये मैंने ही लिखी है ......जिन्दगी यूँ ही गुज़रती जा थी कि तभी इन्टरनेट की दुनिया से रूबरू हुई ....और फिर से कुछ लिखने का मन किया ...
जो लोग टिप्पणियों को लेकर आये दिन कुछ ना कुछ लिखते रहते हैं ....उन लोगों से यह कहना चाहती हूँ ...कि जब एक औरत कुछ लिखती है,  अपनी बात कहती है ...तो एक एक  लाइन लिखने में उसे कई कई मोर्चों पर लोहा लेना होता है ,कई तरह की ज़ंग जीतनी होती है ...इसीलिए इसे आसान ना समझें .....
 
खैर...... अपनी सौवी पोस्ट समर्पित की है मैंने..... बहन ......पाखी सावंत ......को
 
 
मिला स्पोंसर
रचा स्वयंवर
बरसे नोट
जमकर
 
दूल्हा हंट
दुल्हन चंट
ज़ुबान करेंट
पब्लिसिटी स्टंट
 
ना बिफोर
ना आफ्टर
बेस्ट कॉमेडी 
बेजोड़ लाफ्टर 
 
गुड्डों का खेल 
जी भर के खेल 
बचपन की कसर 
जवानी में पूरी कर 
 
पहले डेटिंग
फिर मीटिंग
कर सेटिंग
फिर चेटिंग
फिर
अंत काल तक
वेटिंग ही वेटिंग
 
 ढूंढें सच्चा प्यार 
पहली पहली बार
इस चमत्कार को
नमस्कार
इस चक्कर में
बन गए सब के सब 
अदाकार 
 
शॉक पर शॉक 
गुड्डे करें
कैट वॉक
ताली पीटे फॉक्स 
 
झूमे नाचे गाए
मीका मीका मीका 
किस बिल्ले के भाग से 
फूटेगा ये क्रेक
वाला छींका
 
बन जा मजनू
और फरहाद
नकली मुखौटे
सिर पर लाद
 
उमड़ा प्रेम सच्चा
छोड़ा बीबी बच्चा
शकल है भोली
दिल से निकला लुच्चा
 
गुदवा टेटू
दे दे हाथ
तर्क करे तो 
रास्ता नाप
 
ढूंढ अंगूठी
थाल में
पप्पी मत देना
भूले से भी
गाल में
प्रश्न - उत्तर के
जाल में
फंस गए
बबाल में
 
सरिया तोड़
गर्दन मरोड़
भीख मांग कर
कर गठजोड़
 
अभिषेक से
है ठनठन
कैसे बनेगी
दुल्हन ,
जैसे
ऐश्वर्या बच्चन
 
लिख पत्रों में प्रेम
खेल दिलों के गेम
 
शेरो शायरी
अन्ताक्षरी
मार डांस पे
चांस
आग का दरिया
या
फेम का जरिया
अजब प्रेम का
गज़ब नजरिया
कर जा पार
ओ ! देश के
कर्णधार
 
जिसकी हिस्ट्री में
मिस्ट्री ही मिस्ट्री
वो देखे डांस में
केमिस्ट्री
 
फीसिकल रिलेशन
नोन्सेन्स कुएश्चन
रहते थे एक साथ
अच्छे दोस्त थे हम
 
पूछो सच्ची बात तो
आँसू ही आँसू
आइडिया निकला धाँसू
कनटरोवर्सी क्वीन
हुआ यकीन
संघर्षों की मारी
बेचारी, दुखियारी
 
बात पते की
कहती हूँ अंत में
ओ ! आधुनिक नार
आंसुओं को अपने
 मत बना हथियार
औरत की जिन्दगी
तलवार की धार
दुनिया में अकेली
तुम ही नहीं
हर आँचल में
रहते है छुपे
आँसू  कई हज़ार
 
और अब बहन पाखी
मान सलाह मेरी
कहती है कुमांउनी चेली 
 
इमेजिन का
हाथ छोड़
सोनी से
नाता जोड़
मलेशिया में
इनको छोड़
 
बिच्छू, साँप
कीड़े - मकौड़े
मिला के सबको
तले पकौड़े
 
खेले कबड्डी
तोड़े हड्डी
लपेटे भुजंग
बजाए मृदंग
पूरे एक दिन
रहे फिज़ा के संग 
 
वही शूरवीर
वही कर्मवीर 
झेल सकेगा 
इस शादी
 की पीर
 
बचा होगा
जो एक
बनेगा दूल्हा
नेक
उसका हो
'अभिषेक'
काटे वही
शादी के केक