शुक्रवार, 12 जून 2009

एक मैं और एक तू

साथियों एक सस्ती ग़ज़ल या हमारे हल्द्वानी के कवि शेर दा अनपढ़ के शब्दों में कहें तो गजबज़ल {गजबज +ग़ज़ल }  पेश है  इसमें कुछ शेर मेरे शहर हल्द्वानी के सन्दर्भ में हैं  ,जो हल्द्वानी से परिचित हों वो इसे बखूबी समझ जाएँगे ...
 
मैं गुर्जर का आरक्षण आन्दोलन

तू वसुंधरा का महल

मैं नेपाल की राजशाही

तू प्रचंड कमल दहल

 

मैं कुप्पी मिट्टी तेल वाली

तू लुमिनस का इनवर्टर

मैं प्रायमरी का मिड डे मील

तू मेक्डोनाल्ड का टेस्टी बर्गर

 

मैं निरमा का वाशिंग पाउडर

तू सर्फ़ का अल्ट्रा व्हाइट

मैं पैदल यात्री बद्रीनाथ का

तू हवाई जहाज़ की सीधी फ्लाईट

 

मैं माँ के हाथ की सूखी रोटी

तू फाइव स्टार की तंदूरी

तू बंद पेकेट का कुरकुरा

मैं छत पर सूखी चावल की कचरी  

 

मैं पानी महापालिका का

तू मिनरल वाली बिसलेरी

मैं घर के टूटे बेल का शरबत

तू कोला-पेप्सी सोडा वाली

 
मैं मेज़ में रखा पुराना टी. वी.  
तू दुबली पतली एल. सी. डी.
तू रुद्रपुर की सिडकुल
मैं रानी बाग की एच. एम्. टी  
 
मैं बाज़ार पुराना हल्द्वानी का
तू दुर्गा सिटी सेण्टर का जलवा
मैं टूटी सीट लक्ष्मी की
तू सरगम की ठंडी हवा
मैं हालत बसे अस्पताल की
तू सुशीला तिवारी की दवा
 
मैं शीतला और काली का मंदिर
तू बेरी पड़ाव की अष्ट भुजा
मैं सेंट पॉल ,निर्मला और थेरेसा
तू छरैल की आर्यमान बिरला
 
मैं धर्मशाला की गरीब बारात   

तू बेंकट हौलों की शेहनाई

मैं गरीब मास्टर का टूशन

तू कोचिंग की अंधी कमाई

 

तू सावन की पहली बारिश

मैं उसके बाद की दीन दशा

मैं दक्षिणा वाला पंडित

तू पैकेज वाली पूजा

 

मैं पूजा-पाठ और वास्तु शास्त्र  

तू फेंग शुई है चीन की

मैं बर्तन बाज़ार की टन-टन

तू चुप्पी है शोरूमों की

 

तू खबरी चैनेल की ब्रेकिंग न्यूज़  

मैं दूरदर्शन का कृषि दर्शन

मैं यु.पी.बोर्ड की पढ़ाई

तू सी.बी.एस..का पैटर्न

 

मैं बोर क्रिकेट फिफ्टी-फिफ्टी का  

तू ट्वेंटी-ट्वेंटी का सम्मोहन

मैं लोकल कवि और शायर की रचना  

तू जागरण का कवि सम्मलेन {हल्द्वानी के सन्दर्भ मैं}