गुरुवार, 21 मई 2009

हम हार के कारणों का मंथन करेंगे .....

साथियों ....अभी चुनाव ख़त्म हुए हैं लेकिन घिसे पिटे बयानों का दौर बंद नहीं हुआ है .....कुछ और घिसे पिटे बयान लेकर मैं फिर हाज़िर हूँ
 
हम हार के कारणों का मंथन करेंगे .....
 
हम
हार के कारणों का
मंथन कर रहे हैं
विष ही विष निकल रहा है
चरों ओर से
पी जाए जो फिर
आँख मूँद के
उस
शिव शंकर को
ढूंढ रहे हैं .........
 
दिल्ली में तो पप्पू भी प्रधानमंत्री बन जाते हैं ........मायावती [चुनाव से पहले]
चुनाव के बाद .....
 
बन गए पी .एम् .
फिर से
मेरे प्यारे पप्पू भैय्या
दौड़ी दौड़ी मैं भी आई
पत्र समर्थन का लाई 
मारे खुशी के 
नाचूं  अब तो
ता ता थैय्या ....... 
 
मुझे राम ने जिताया .....वरुण
 
राम ही जाने
राम की माया
जिसने साठ साल
राम नाम को गाया
खाया और भुनाया
उस पर कतई
तरस न खाया
जिसने
बस पांच साल
रोम रोम को गया
उसको
फिर गद्दी पर बैठाया ....