सोमवार, 27 अप्रैल 2009

साथियों ......कुछ और चुनावी क्षणिकाएँ लेकर मैं फिर हाज़िर हूँ ....

 
 
नाम का और काम का गाँधी ......वरुण बबुआ उवाच
 
कौन नाम का
और
कौन काम का
गाँधी है
प्रश्न सुना तो
ऊपर बैठा
था जो बस
राम का
हर खासो-आम का
उस बापू की
हंसी छूट जाती है
 
कड़े कदम
 
उन्होंने
आतंक से
लड़ने को
सदा
कदम उठाए
इतने कड़े
आपस में ही
उलझ कर रह गए 
कभी ज़मीन पर
नहीं पड़े