गुरुवार, 30 अप्रैल 2009

गर्म चुनावी क्षणिकाएँ

 गर्मी के इस मौसम में कुछ एकदम ताजा और गर्म  चुनावी क्षणिकाएं लेकर मैं फिर हाज़िर हूँ .....
 
युवराज की डिग्री पर सवाल उठाने वालों  से ....
 
वे,
जो उसकी डिग्री पर
सवाल उठाते हैं
उसे
नकली और फर्जी
ठहराते हैं
याद क्यूँ नहीं रखते
कि
उसके चरण कमलों में
 पी.एच.डी तो एक तरफ
डी.लिट. भी अपना सिर
 नब्बे डिग्री में झुकाते हैं
और कितने प्रमाण चाहिए
इतना क्या कम है
दिल के समझाने को
कि वे
नेहरु और गाँधी के
परिवार से आते हैं
 
 
कसाब का जवाब
 
निकल गया कसाब
पूरा बालिग जनाब
है किसी के पास
इसका जवाब
कि
कौन निकला
नाबालिग़?
और
एक बार फिर
किसके मुँह पर
पुत गयी कालिख?
 
 
 
 

मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

पहाड़ की औरत जब वोट डालने जाती है

साथियों .....सरकार भी बड़ी अजीब चीज़ होती है ....वैसे तो साल भर हम गरीब टीचरों के पीछे पड़ी रहती है ...गरियाती रहती है ...लेकिन जब कोई जिम्मेदारी वाला काम होता है ...तो हमें याद करने में उसे ज़रा भी संकोच नहीं होता ....तो चुनाव हों और वो हमें खाली बैठने दे ऐसा कैसे हो सकता है ? पिछले साल  ग्राम पंचायत के चुनाव में ऐसी ही एक ड्यूटी देते समय  मैंने एक कविता लिखी थी ....न न ...ड्यूटी के समय नहीं ...उसके बाद ...
 
 सौ प्रतिशत वोट डालती पहाडी औरत के जज्बे को मेरा सलाम .....
 
पहाड़ की औरत जब वोट  डालने जाती है
देर रात तक जाग कर
गाय का गोबर साफ़ कर
सुबह चार बजे उठ जाती है
पहाड़ की औरत जब वोट डालने जाती है
 
बरसों से सहेजे झुमके चूड़ी
शादी में मिली लाल साड़ी
पैरों में हील की चप्पल डाल लेती है
पहाड़ की औरत जब वोट डालने जाती है
 
बच्चों के लिए कुछ माटी के खिलौने 
ससुर के लिए खट्टा मीठा चूरन लाने
पिठ्या के पैसों को बटोर लाती है
पहाड़ की औरत जब वोट डालने जाती है
 
अंधी सास का हाथ थाम कर
छुटके को कमर में डाल कर
चाची, मामी को आवाज़ लगती है 
पहाड़ की औरत जब वोट डालने जाती है
 
  और साथियों पहाड़ की औरत जो खुद एक पहाड़ सी जिन्दगी जीती है जब वोट डालती है तो
 
सूरज की गर्मी , जाड़ों की गलन
बारिश की सड़न, काम की उलझन
उसके कदम नहीं रोक पाती है
पहाड़ की औरत जब वोट डालने जाती है
 
मीलों पथरीले रास्ते , बाघों की सच्चाई
नदियों का वेग , पहाड़ों की ऊंचाई
उसके आगे बौनी हो जाती है
पहाड़ की औरत जब वोट डालने जाती है
 

सोमवार, 27 अप्रैल 2009

साथियों ......कुछ और चुनावी क्षणिकाएँ लेकर मैं फिर हाज़िर हूँ ....

 
 
नाम का और काम का गाँधी ......वरुण बबुआ उवाच
 
कौन नाम का
और
कौन काम का
गाँधी है
प्रश्न सुना तो
ऊपर बैठा
था जो बस
राम का
हर खासो-आम का
उस बापू की
हंसी छूट जाती है
 
कड़े कदम
 
उन्होंने
आतंक से
लड़ने को
सदा
कदम उठाए
इतने कड़े
आपस में ही
उलझ कर रह गए 
कभी ज़मीन पर
नहीं पड़े
 
 

रविवार, 26 अप्रैल 2009

चुनावी क्षणिकाएं ....भाग ३

चुनावी क्षणिकाओं का तीसरा भाग ......
 
दावा
 
वे
दावा करते हैं
उबड़ खाबड़
रास्तों को
समतल करने का
भूख गरीबी
के आवरण को
हटाने का
पर
खुद उनकी ही
कथनी और करनी  
के मध्य
एक चौड़ी खाई है  
जो
आज तक
नहीं भर पाई है  
 
स्थिति
 
अन्याय की
वेदी है
निर्दोष की
बलि है
पर आप
बिलकुल
चिंता ना करें  
श्रीमन
स्थिति
तनावपूर्ण 
किन्तु
नियंत्रण में है
 
विकास
 
कुछ तो मेरा विश्वास करो
मत घूरो मेरी तोंद को
पिछले विकास से कितना डकारा
मुँह बंद करो ,यह नोट लो
आया हूँ मैं हाथ जोड़ कर
विकास को  फिर से वोट दो
 

शनिवार, 25 अप्रैल 2009

चुनावी क्षणिकाएं ....भाग २

साथियों .....जब तक चुनाव नहीं निपट जाते ...कुछ और लिखना मुश्किल हो रहा है ....रोज़ इतने मसाले मिल जा रहे हैं ...और कोई विषय सूझ ही नहीं रहा ....तो फिर से कुछ और चुनावी क्षणिकाएं हाज़िर हैं ....
 
मजबूरी
 
उनकी,
मजबूरी को लोग
समझ नहीं पाते हैं
उन्हें,
पद का लोलुप
सत्ता का भूखा
बताते हैं
नादान हैं
नहीं जानते
कि वे
देश सेवा
तभी कर पाते हैं
जब
राजनीति में आते हैं
 
 
ग्रेट उपाय
 
झुग्गी में,
झोंपडी में
गरीबों की
बस्ती में
दीन दुखियों
के पास
बंधाने को आस
उनके पास
उपाय है ख़ास
पिघल न जाए कहीं
इस दगाबाज़ दिल का
कतई भरोसा नहीं
इससे निपटने का
परमानेंट
रिज़ल्ट है जिसका
सौ परसेंट
मिल गया उनको
एक उपाय ग्रेट
कमबख्त दिल को ही
करवा डाला
लेमिनेट....
 
 

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2009

दो चुनावी क्षणिकाएं ....

साथियों ....चुनावी मौसम में ....चुनावी क्षणिकाएं .......
जगदीश टर्रटर्र
 
वो
जब अदालत में आते हैं
धुँआधार आंसू
बहाते हैं
उनका रोना देख
मुकदमा करने वाले
खुद को
अपराधी पाते हैं
 
 
जन सेवा
 
उन्होंने 
जन सेवा का
व्रत लिया है
आज तक
मंत्री से कम
कोई पद
नहीं लिया है
 

गुरुवार, 23 अप्रैल 2009

देख के इनका ऐसा प्रेम

सब लुटा दी बीबी पर
दौलत जितनी भी जोड़ी
पत्नी इनकी करोड़पति 
इनके पास फूटी कौड़ी 
जन सेवा में उम्र बीत गयी 
अभी  कसर बाकी है थोड़ी
  
ये बेचारे पैदल हैं
उसके पास कारें आठ 
वो सोए डबल बेड पर  
इनके हिस्से टूटी खाट
ये कड़क धूप में सेवा करते
वो करती ऐ. सी. में ठाट
 
ड्राइविंग का 'डी' ना जाने
ना पॉलिसियों की पहचान
बैंक खातों का  नहीं
शेयर बाज़ार से अनजान
भोली इतनी मुझसे पूछे
बोंड, निवेश किस चिडिया का नाम
 
चार फैक्ट्री और बंगले दस
ज़मीन है अस्सी बीघा बस
सब अर्पण है प्राण प्यारी को
गरीब दीन दुखियारी को
है कोई जो टक्कर दे दे
ऐसे प्रेम पुजारी को ?????
 
 

बुधवार, 22 अप्रैल 2009

१८ अप्रेल की वो अविस्मरणीय शाम

१८ अप्रेल की शाम एक अविस्मरणीय शाम बन गयी ....क्यूंकि इस दिन हमने दिल्ली में अपनी ऑरकुट की एक कम्युनिटी के सदस्यों से वास्तविक मुलाक़ात की ..'.सृजन का सहयोग'....जिसको आभा जी चलती हैं ...एवं राजेश जी के संयुक्त प्रयासों से यह आयोजन सफल हो सका ...सभी लोग एक दुसरे से रूबरू हुए ....अपनी अपनी रचनाएँ सुनाईं गईं ...और अंत में एक शानदार रात्रि भोज का आयोजन किया गया ...सभी लोग एक दूसरे से मिल कर बहुत प्रसन्न हुए ... कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह से हम लोग मिल पाएँगे ...

मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

जूता नहीं जनता का प्यार

जूते चप्पल की बारिश में सभी ने अपनी कलम को धार प्रदान की ...मैं क्यूँ पीछे रहूँ ...देर से ही सही ...पर लिखूंगी ज़रूर ..   ..
 
 
परिवर्तन के इस दौर को
कर लो अब स्वीकार
अंडे टमाटर पहुँच से बाहर
जूतों की इसीलिए बौछार
झुका लो सिर को धीरे से
प्यार से कर लो अंगीकार
बुरा न मनो माननीयों
इस में छिपा जनता का प्यार
शुक्र मना लो पालनहारों
देश के तुम  खेवनहारों
तुम्हारे ताबूत की आखिरी कील  
जूतों में नहीं होती हील ....
 

सोमवार, 20 अप्रैल 2009

बचाओ .....ये फिर से आ गया ...

क्रिकेट जब से मेरे देश का धर्म हो गया
हर गली स्टेडियम, हर चेहरा धौनी हो गया
.
दिन में क्रिकेट
रात में क्रिकेट 
सुबह भी क्रिकेट 
शाम भी क्रिकेट 
खाना भी क्रिकेट 
पीना भी क्रिकेट 
क्रिकेट में ग्लेमर 
ग्लेमर में क्रिकेट 
क्रिकेट की दीमक 
चाट गयी देश 
 
पैसे में क्रिकेट 
क्रिकेट में पैसे 
क्रिकेट में थप्पड़ 
क्रिकेट में घूंसे 
क्रिकेट के जाल में 
फंसी कुछ ऐसे 
परेशान हुए मेरे जैसे 
कोई तो जवाब दे 
क्रिकेट में देश समाया 
या देश में क्रिकेट ....... 
 

गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

चोट्टी के नेता

सुषमा बनी पूतना
कांग्रेस हुई बुढ़िया
लालू जी जल्लाद
वरुण बाबा काटे हाथ
आडवानी  गुलाम
मनमोहन पहलवान 
 
नेता हैं ये चोट्टी के 
इनके शब्द हैं  जलते हुए अंगारे 
जनता के लिए आचार संहिता 
इनकी जीभ में  भरे ज़हर के प्याले  
क्यों नहीं लगते इनके मुँह में
मोटे अलीगढ़ के ताले ??? 

बुधवार, 15 अप्रैल 2009

मरुभूमि में शीतल फुहार

सरकारी शिक्षिका होने के नाते, पिछला हफ्ता छुट्टियों के नाम रहा इसका सदुपयोग हमने अपनी भाभी, जो कि पिलानी स्थित बिड़ला के स्कूल में शिक्षिका है, के पास जाकर किया घनश्याम दास बिड़ला जी के अथक प्रयासों द्वारा स्थापित बिड़ला इंस्टीटिउट ऑफ़ टेक्नोलोजी, अर्थात बी ई टी एस पिलानी जैसी छोटी सी, शुष्क और रेतीली जगह को भारत के नक्शे में एक विशिष्ट स्थान दिलाता है आस-पास में घूमने की बहुत सी जगह हैं बड़ी मेहनत से कई दर्शनीय स्थलों का निर्माण किया गया है जिनमें पंचवटी और साइंस मिउज़ियम ख़ास तौर पर आकर्षित करते हैं पंचवटी पार्क में श्री राम के जीवन की समस्त महत्वपूर्ण घटनाओं को पत्थर की शिलाओं को बेहद खूबसूरती से तराश कर दर्शाया गया है रेत एवं कैक्टस के बीचों-बीच शेर, जिराफ, भालू, ज़िब्रा, हिरन एवं आदि-मानव के रहन-सहन के तरीके को देखना एक बहुत विशिष्ट अनुभव रहा पूरे पार्क में कहीं पर भी आपको गन्दगी का कोई निशान नहीं मिलेगा
साइंस मिउज़िअम यहाँ का दूसरा बड़ा आकर्षण है विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी वस्तु एवं विचार को छोटे स्तर पर मॉडल के रूप में दर्शाया गया है, जिसमें रोबो का बोलना व हाथ मिलाता बेहद रोमांचक अनुभव है विज्ञान से जुड़ी धारणाओं की पुष्टि आप स्वयं भी प्रयोगों द्वारा कर सकते हैं इसी से सटा हुआ एक विशाल हॉल है जिसमें बिड़ला जी के जीवन परिचय, व्यक्तित्व एवं कृतित्व को दर्शाते हुए विभिन्न चित्र संगमरमर की दीवार पर उकेरे गए हैं हॉल के बीच में बिड़ला जी की खूबसूरत प्रतिमा स्थापित है उनका व्यक्तिगत वायुयान एवं कार भी वहां आने वाले अतिथियों का ध्यान खीचतीं हैं
भव्य सरस्वती मंदिर में शाम की प्रार्थना के समय विद्यार्थियों की भीड़ को देखना बहुत सुखद लगा मंदिर परिसर हरा-भरा और बहुत शानदार है यहाँ आप यदा-कदा मोरों को नाचते हुए भी देख सकते हैं इसी के पास, पानी के बीचों-बीच स्थित, शिव एवं हनुमान मंदिर भी हैं जिनके पास चाँदनी रात में भ्रमण करना बहुत सुकून प्रदान करने वाला होता है
बी ई टी एस की लाइब्रेरी की खूबसूरती उसकी दीवारों पर उकेरे रंग-बिरंगे चित्रों से है पिन-ड्राप शांति एवं कठोर अनुशासन यहाँ की विशेषता है लाइब्रेरी परिसर की साफ़-सफाई एवं रख-रखाव देखने लायक है
यहाँ एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र भी है जहां बेहद सस्ती दरों में पंचकर्म व अन्य प्राकृतिक चिकित्साएं उपलब्ध हैं
इसके अतिरिक्त श्री राम मंदिर, रानी की बावड़ी और बिड़ला जी की हवेली भी देखने लायक जगहें हैं पार्क में बच्चों के खेलने के लिए बहुत से झूले भी हैं
यहाँ के बाज़ार से बहुत किफायती दर पर आप राजस्थानी आर्ट और क्राफ्ट की वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं
खाने पीने के शौकीनों के लिए कनाट एक महत्वपूर्ण जगह है .यहाँ नॉर्थ इंडियन और साउथ इंडियन दोनों तरह के लजीज व्यंजन उपलब्ध हैं .यहाँ की कोल्ड
काफी का स्वाद कभी भूला नहीं जाएगा .
कुल मिलाकर पिलानी वहां की साफ़ सफाई, लोगों की इमानदारी, विद्यार्थियों की अनुशासनप्रियता एवं बिरला जी के इस अद्भुद प्रयास ( बिट्स ) के लिए हमेशा याद रहेगा .

रविवार, 5 अप्रैल 2009

सांसद चुनने में कन्फ्यूजन! मेरे पास है सोल्यूशन

साथियों, इन दिनों जनता बहुत उलझन में है कि वह अपना अमूल्य मत किसको दे......कभी पार्टी को देने का मन करता है कभी प्रत्याशी को......वोटर की रातों की नींद और दिन का चैन हराम हो चुका है. तो मैंने एक उपाय निकाला......जिस प्रकार हम बेस्ट सिंगर, बेस्ट डांसर, बेस्ट हंसोड़ को रियलिटी शो के द्वारा चुनते हैं, उसी प्रकार प्रत्याशियों का भी एक रियलिटी शो होना चाहिए जिसमें वे अपनी राजनैतिक प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें. इसमें कुछ राउंड मैंने बनाए हैं, कुछ आप जोड़ लीजिये:
 
१) भाषण राउंड -
भाषण ऐसा देना होगा
सांप ज़हर भरवा ले जाए
पत्तों का सूखा ढेर रखा हो
बिन तीली के जल जाए
 
२) चिकना घड़ा राउंड -
जनता गाली देवे
कुत्ता कोई कह देवे
खींसे वो निपोर लेवे
ओढ़ ले गैंडा खाल
हो..........
नोट वो बंटवाए
आरोप कोई लगवाए
सी बी आई जांच करवाए
ओढ़ ले गैंडा खाल
हो ...............
 
३) तीसरा राउंड है भाई-भतीजा वाद
खुद कहलाएं कांग्रेसी
बेटा माने समाजवाद
अंधाधुंध बांटें रेवड़ीयाँ
रिश्तेदार पावें नौकरियां
कमीशन, रिश्वत और घोटाले
सात पुश्तों तक धन कमा ले
सिंहासन जब छोड़ें मियाँ
बैठ जाए पत्नी
मिल के बना दें दोनों
देश की चटनी
 
४) कपड़े बदल राउंड -
ख़ास ख़्याल हो गेटअप का
कपडे बदलना भूल न पाए
बाहर चाहे बम फटे हों
देश भले ही थर्रा जाए
कुरता हो या पहना सूट
क्रीज़ में सिलवट न आने पाए
 
५) निशानेबाज़ी राउंड -
हाथ में जोकुछ भी आये
उसको ही हथियार बनाएं
माइक खींचे, कुर्सी तोड़ें 
एक दूजे का सिर भी फोड़ें
जूता फ़ेंक में जिसका हो अचूक निशाना
उसको ही तुम वोट दिलाना
 
६) दल-बदल राउंड -
सुबह को कमल खिलाए
दिन में पंजा लड़ाए
शाम को साईकिल
रात को हाथी की सवारी हो
जिसकी सरकार बनने वाली हो
थैली सबसे भारी हो
उसी नाव पर इनकी सवारी हो
 
७) वायदा राउंड -
खाने को चाहे मिले ना राशन
हर गली में एक मॉल खुलेगा
मिले ना पीने को पानी
हर हाथ को लैपटॉप मिलेगा
मंगल ग्रह में प्लाट
और चंदा मामा का टिकट मिलेगा
 
८) गजनी फ्लू राउंड -
सुबह का दिया स्टेटमेंट 
कब तक रहेगा परमानेंट 
कहते ही जो मुकर जाए 
वही इसका विजेता कहलाए 
 
९) फोटोग्राफ़ी राउण्ड -
चोरी छिपे बना दे क्लिपिंग
इसमें कर दे ऐसी मिक्सिंग
एक के सिर पर दूजे धड़ की फिक्सिंग
साउंड की करले हुबहू डबिंग
उसको ही मिले संसद की इनकमिंग
 
१०) झपकी राउण्ड -
बम धमाकों के बीच में
जो लम्बी तान ले ले
ढोल नगाड़ों के कोलाहल में
जो मीठी नींद सो ले
इस राउण्ड का विनर होवे
 
११) अंतिम राउंड -
अंतिम राउंड कुश्ती का
फ्री स्टाइल धींगामुश्ती का
अपनाए जो सारे तरीके
साम दाम दंड भेद सरीखे
उसे मिलेगी गद्दी रुपी नोटों की सेज
ऐसे प्रत्याशी को ही संसद में तू अबकी भेज

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

मार्केट वैल्यू

मार्केट वैल्यू

 

"पिताजी आप हर समय किस सोच में डूबे रहते हैं, खाना तो ठीक से खा लीजिये", पूजा ने अपने पिता से कहा तो वे जैसे दूर किसी दुनिया से धरती पर लौट आए".

 

"किसी तरह तेरी शादी हो जाए तो मेरी सारी चिंताएं ख़त्म हो जायेंगी. जहाँ भी तेरी जन्म-पत्री जाती है, कोई जवाब नहीं आता है. पिछले हफ्ते तेरी जन्म-पत्री व फ़ोटो श्रीमती वर्मा अपने इंजीनीयर बेटे के लिए ले गयी थीं, अभी तक कोई जवाब नहीं आया. सोच रहा हूँ फ़ोन करके याद दिला दूँ".

 

पिता ने फ़ोन मिलाया तो श्रीमती वर्मा ने ही उठाया,

"जी मैं पूजा का पिता बोल रहा हूँ. आप मेरी लड़की की जन्म-पत्री और फ़ोटो ले गयीं थीं, क्या हुआ? आपने कोई उत्तर नहीं दिया."

 

"बात ये है की अगले महीने मेरा बेटा आने वाला है. सब कुछ उसी की पसंद पर निर्भर करता है. हम आपको उसके निर्णय की सूचना दे देंगे. वैसे आपकी लड़की हमें तो पसंद है."

"जी, धन्यवाद", कहकर पूजा के पिता ने फ़ोन रख दिया.

 

"लगता है भगवान ने मेरी सुन ली बेटा. श्रीमती वर्मा को तू पसंद आ गयी है, बस बेटे की हाँ का इन्तजार है. वो भी हाँ कर ही देगा."

 

बहुत समय के बाद उन्हें कोई सकारात्मक उत्तर मिला था, इसीलिये उनके चेहरे पर थोड़ी रौनक लौट आयी थी.

 

उधर वर्मा साहेब अपनी पत्नी को समझाने की अन्तिम कोशिश कर रहे थे,

"ये तुमने क्या तमाशा लगा रखा है? दिन रात लोग फ़ोन करके परेशान करते हैं. क्या मिलता है तुम्हें लड़कियों की फ़ोटो इकठ्ठा करके? वापस क्यों नहीं कर देती हो उन्हें? इन लोगों को बता क्यों नहीं देती की हमारे बेटे ने अपनी एक सहकर्मी को पसंद कर रखा है. तुम ख़ुद ही तो विवाह पक्का करके आयी हो."

 

श्रीमती वर्मा अपने पति पर बरस पड़ीं,

"तुम्हारी अक्ल घास चरने तो नहीं चली गयी. याद नहीं, पिछले साल बड़ी जिठानी जी का लड़का, जो मामूली सा क्लर्क है, उसके लिए पचास से अधिक लड़कियों की जन्म-पत्रियाँ व फ़ोटो आयी थीं. कैसे चिढ़ा रही थीं वो मुझे. अब मेरी बारी है. जब तक दो या ढाई सौ प्रस्ताव न आ जाएँ, मुझे चैन नहीं आएगा. आख़िर मेरा बेटा इंजीनीयर है, उसकी मार्केट वैल्यू ज्यादा होनी चाहिए या नहीं?"

 

वर्मा जी अपना माथा पकड़कर बैठ गए.

गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

मेरे लिए ना हुआ कभी डी.एन. ए. टेस्ट

आज फिर बदली गयी हूँ मैं
आज फिर छली गयी हूँ मैं
आज फिर टूट गया
ममता का बंधन
रूठ गयी माँ की उमड़ती छाती
छूट गया प्यारा सा बचपन
पिता ने नज़रें फेर लीं आज फिर
लड़के के बदले रखा गया मुझको
आज फिर बोझ समझा गया मुझको
आज फिर डी. एन. ए. टेस्ट होगा
आज फिर एक महाभारत होगा
किसकी किस्मत में लिखी जाउंगी
किसको राहत पंहुचाउंगी, फैसला होगा
तब तक यूँ ही पड़ी रहूंगी
माँ के आँचल को तरसती रहूंगी
हँस देती हूँ मैं पालने में पड़ी पड़ी अकेली
कब सुलझेगी मेरे जीवन की ये अनबूझ पहेली
 

बुधवार, 1 अप्रैल 2009

क्षणिकाएं

 
 
ना एकाउंट
ना एमाउंट
ना कोई कार्ड
किस्मत थी हार्ड
पढ़ा था अखबार
सुबह सुबह
पहुँच गए  
ऐ. टी. एम्.
 ऐसे बन गए
यारों फूल हम ....
 
रचनाधर्मी 
 
उन्होंने 
हर रचना को 
धर्म से जोड़ के देखा 
दूसरे धर्म की हर रचना को  
फाड़ा, जलाया, फेंका  
इसीलिए 
खुद को सदा 
रचनाधर्मी कहा ...